ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर शहर के रोडवेज डिपो पर सरकार ने ताला डाल दिया है।
बताया जा रहा है कि इस बस अड्डे और डिपो की बेशकीमती जमीन पर माफिया की निगाहें हैं।
आपको बता दूं कि इस रोडवेज डिपो को कांग्रेस की सरकार ने आज से 36 साल पहले खोला था। लंबे समय से काशीपुर पर काबिज भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने इसके विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया।
राज्य गठन से पहले काशीपुर शहर को तराई के सबसे विकसित शहरों में गिना जाता था। राज्य गठन के बाद से काशीपुर विस सीट पर भाजपा काबिज रही है।
मेयर के पद पर भी अधिकांश समय भाजपा का कब्जा रहा। सांसद भी भाजपा के ही रहे हैं। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस शहर के विकास पर कोई नहीं ध्यान नहीं दिया।
नतीजा यह रहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस काशीपुर को एक कस्बे की संज्ञा दे डाली। उस वक्त भी भाजपाई जनप्रतिनिधियों ने कोई प्रतिवाद नहीं किया।
अब सरकार ने काशीपुर डिपो का अस्तित्व खत्म करके इसे रामनगर डिपो में मिला दिया है। इस फैसले से काशीपुर का अवाम सकते की हालत में है।
सोशल मीडिया में भाजपाई जनप्रतिनिधियों के प्रति भड़ास निकाली जा रही है। भारी विरोध के बाद विधायक त्रिलोक सिंह चीमा कहते हैं कि इस बारे में सीएम से बात की जाएगी।
यहां बता दें कि इससे पहले चीमा के पिता हरभजन सिंह इसी सीट से 20 साल विधायक रह चुके हैं। इस काशीपुर डिपो को तबाह करने की अफसर फाइलें चलाते रहे और विधायक चीमा सोते रहे।
बताया जा रहा है कि डिपो खत्म करने के मूल में इसकी बेशकीमती जमीन है। शहर के बीचों-बीच स्थित इस कई एकड़ जमीन पर माफिया की निगाहें लंबे समय से लगी हुई हैं। पहले इस बस अड्डे को स्थानांतरित करने की योजना पर काम किया गया। लेकिन नए बस अड्डे के लिए जमीन न मिलने पर योजना रोक दी गई। अब मौका मिलते ही डिपो खत्म करने का कारनामा कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि अब ये जमीन जल्द ही किसी खास व्यक्ति को लीज पर दे दी जाएगी। फिर वो इस जमीन से अऱबों के नारे-व्यारे करेगा।
यहां बता दें कि इस काशीपुर डिपो की स्थापना यूपी के समय में वर्ष 1986 में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने की थी। इसके उद्घघाटन के मौके पर तत्कालीन सीएम स्व. नारायण दत्त तिवारी और विधायक स्व. सत्येंद्र चंद गुड़िया भी मौजूद थे।