सरकारी जमीन कब्जाने में 2 सफेदपोश नेताओं का हाथ।
अधिकारी भी ऊपरी दबाव से नही कर रहे कोई कार्यवाही।
Report-vijay rawat
त्रिवेंद्र सरकार का जीरो टोलरेंस केवल गोदी मीडिया की सुर्खियों तक ही बचा रह गया है हालत यह है कि देहरादून के सीने पर 80 बीघा जमीन सरकार में शामिल दो सफेदपोश नेताओं और नगर निगम, एमडीडीए और राजस्व विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में कब्जाया जा रहा है इस संबंध में जब क्षेत्र के कुछ जागरूक व्यक्तियों ने संबंधित अधिकारियों के मोबाइल पर व्हाट्सएप करके और व्यक्तिगत रूप से भी इसकी शिकायत की तो उनका साफ कहना था कि अगर कब्जा हो रहा है तो होने दो।
संवाददाता ने जब क्षेत्रीय एसडीएम सदर कमलेश मेहता से इस प्रकरण में बात की ,उसके बावजूद भी इसपर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
यहां तक कि जब 1 सप्ताह बाद उनसे फिर से इस मामलें पर कार्यवाही के विषय में पूछा गया तब भी उन्होंने सिर्फ जांच करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया ।
एसडीएम कमलेश मेहता का कहना है कि इस संबंध में पटवारी को रिपोर्ट देने को कहा गया है लेकिन जब संवाददाता ने क्षेत्रीय पटवारी कमल राठौर से इस प्रकरण की जानकारी ली तो उन्होंने ऐसे किसी कब्जे की जानकारी होने से ही मना कर दिया ऐसे में साफ जाहिर है कि या तो एसडीएम कमलेश मेहता ने पटवारी को कहा ही नहीं अथवा क्षेत्रीय पटवारी झूठ कह रहा हैं जाहिर है कि इस संगीन मामले में इन दोनों की ही मिलीभगत है ।
यह ही नहीं इस संबंध में जब नगर निगम तथा एमडीडीए के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने भी ऐसी कोई जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया। यदि अधिकारियों को पूर्व से कोई जानकारी नहीं थी तो संवाददाता द्वारा बताए जाने पर भी कोई उचित कार्यवाही नहीं किया जाना इसका मतलब यही है कि नगर निगम,एमडीडीए के अधिकारियों के मिलीभगत से यह सब हो रहा है।
दबी जबान में अधिकारियों ने यह तो कहा कि इस मामले में वह सरकार में शामिल सफेदपोश नेताओं के दबाव से कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं मगर ऑफ रिकॉर्ड भी अधिकारियों ने सफेदपोश नेताओं का नाम बताने से साफ इनकार कर दिया, जाहिर है कि यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार की 80 बीघा जमीन सरकार की नाक के नीचे ही कब्जाई जा रही है और सरकार ढोल पीटकर जीरो टोलरेंस का गुणगान कर रही है।
इलाके की सेटेलाइट इमेज से साफ देखा जा सकता है कि यह जमीन राजपुर रोड़ एन्क्लेव के पास इलाके के बीचोंबीच स्थित है दुखद पहलू यह भी है कि इस क्षेत्र के निवासियों ने भी इस कब्जे के खिलाफ शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों ने कार्यवाही करना उचित नहीं समझा ।
हस्तक्षेप के सूत्रों के अनुसार इस जमीन को कब्जाने में दिल्ली के कुछ बड़े भू-माफियाओं का हाथ है जिनके डर से कॉलोनी के निवासी भी इस कब्जे के बारे में मुंह खोलने से कतरा रहे है। हैरान करने वाली बात है कि क्या दिल्ली का भूमाफिया इतना बड़ा हो गया है कि सरकार की भी जुबान भू-माफिया के आगे बंद हो गई है। इस संबंध में जब एक अधिवक्ता ने एमडीडीए के शीर्ष अधिकारी उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव से इसकी शिकायत की तो शीर्ष अधिकारी ने भी अपनी आंखें बंद कर ली जाहिर है कि कोई भी सरकार में शामिल उक्त सफेदपोश तथा दिल्ली के भूमाफिया से बैर मोल नहीं लेना चाहता ।
अहम सवाल यह भी है कि एक तरफ सरकार देहरादून में सरकारी भूमि उपलब्ध ना होने की बात कहते हुए तमाम केंद्रीय संस्थानों को भूमि उपलब्ध कराने से असमर्थता व्यक्त कर रही है वहीं दूसरी ओर पॉश इलाके में 80 बीघा सरकारी जमीन सरेआम
कब्जाई जा रही है लेकिन इसपर सभी सरकारी नुमाइंदों ने आंखें बंद कर रखी है भला यह किस तरह का जीरो टोलरेंस है।
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