देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की कवायद एक बार फिर शुरू हो गई है। जिसके लिए जौलीग्रांट मुख्य बाजार के पास चोर पुलिया के दशकों पुराने बाजार को उठाने की तैयारी की जा रही है।
जिसके लिए बीते 7 मई को डोईवाला प्रशासन के द्वारा सर्वे कार्य को पूरा कर लिया जा चुका है। जिसमें जमीन, मकान, दुकानें, पेड़ आदि का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जा रही है। जिसके बाद चोर पुलिस के बाजार और आसपास के क्षेत्र को भी उठाने की तैयारी की जा रही है।
डोईवाला प्रशासन की टीम ने जो सर्वे किया है। उसके अनुसार चोर पुलिया के पास स्थित एयरपोर्ट बाउंड्री के सेंटर से 175 मीटर लंबाई में चोर पुलिया की तरफ और इसी बाउंड्री के सेंटर से 75 मीटर दाएं और 75 मीटर बाएं साढ़े छह एकड (लगभग 34 बिघा) जमीन का सर्वे किया गया है ।
जिसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जा रही है। और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इस क्षेत्र की जमीन को अधिग्रहण किया जाएगा।
आपको बता दें कि कोठारी मोहल्ला, बागी, सैनिक मोहल्ला और बिचली जौलीग्रांट के सैकड़ों लोग एयरपोर्ट बाउंड्री के बगल से सैनिक मोहल्ला होते हुए दस फीट के लगभग संकरे रास्ते से होकर ऋषिकेश – देहरादून मार्ग तक आवाजाही करते हैं। यदि पुरानी चोरपुलिया के बाजार को हटाकर उस जमीन को एयरपोर्ट को दिया जाता है तो इन चार गांवों का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाएगा।
जिसके बाद इन गांवों के सैकड़ों लोगों को पूरी गांव की परिक्रमा करते हुए पंचायत घर जौलीग्रांट से होते हुए कई किलोमीटर की दूरी तय कर मुख्य मार्ग तक जाना पडेगा। 2007 में एयरपोर्ट विस्तारीकरण के कारण कोठारी मोहल्ला, बागी, सैनिक मोहल्ला और बिचली जौलीग्रांट के रास्ते को पूरी तरह बंद कर दिया गया था।
जिसके बाद स्थानीय लोगों के एक महीने तक चले आंदोलन के बाद जौलीग्रांट अस्पताल प्रशासन ने स्थानीय लोगों को एक रास्ता अपनी जमीन से दिया था। लेकिन अब विस्तारीकण के कारण उस रास्ते को भी बंद करने की तैयारी की जा रही है।
एयरपोर्ट प्रशासन को अब तक सिर्फ अपनी हितों से मतलब रहा है। जिसका खामियाजा पहले लोगों को अपनी जमीनें देकर उठाना पड़ा है। और अब उनसे उनके रास्ते भी छिनने की तैयारी की जा रही है। उधर एयरपोर्ट निदेशक प्रभाकर मिश्रा से कई बार फोन मिलाने पर भी संपर्क नहीं हो सका।
पहले थानों के जंगल का हो सर्वे चुका है।
लेकिन अब एयरपोर्ट के दूसरे हिस्से की तरफ से स्थानीय लोगों को उठाने की कवायद शुरू कर दी गई है। स्थानीय लोगों को कहना है कि 2007 में ही एयरपोर्ट को बड़ा बना देना चाहिए था। बार-बार एयरपोर्ट के विस्तारीकण से स्थानीय लोगों को कई बार विस्थापन का दंश झेलना पड़ रहा है।