देहरादून। उत्तराखंड में सियासी चाल तो दिल्ली से ही चलती है लेकिन आर्थिक तौर पर भी उत्तराखंड दिल्ली के इशारों पर बहता नजर आ रहा है। राजस्व अपने भरोसे नहीं बल्कि केंद्र सरकार पर निर्भर होकर चल रहा है। वर्तमान स्थिति को देखकर सरकार अब भविष्य में आने वाली वाली तमाम चुनौतियों से रूबरू होने वाली है।
उत्तराखंड अर्थ एवं निदेशालय का विश्लेषण भविष्य में आने वाले खतरे की ओर इशारा कर रहा है। खतरा इस बात का है राज्य सरकार अपने बलबूते पर नहीं बल्कि केंद्र सरकार की भरोसे चल रहा है और सवाल यह है कि आखिर कब तक चलता रहेगा।
जून में केंद्र सरकार जीएसटी का मुआवजा देना बंद करने वाली है। अब ऐसे में सरकार को अपने खर्चे पूरे करने के लिए उधार लेना पड़ेगा लेकिन बात यह है कि प्रदेश सरकार का राजस्व प्राप्तियों का ज्यादातर हिस्सा केंद्र की दया पर निर्भर होता जा रहा है।
आपको बता दें कि हाल ही में बीते तीन वित्तीय वर्षो 2019-2020 2020- 2021 और 2021-2022 के बजट की विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड सरकार को राजस्व प्राप्तियां 2019-20 में 3071429 लाख रुपये थी जो कि 2020-21 में 2041 फीसद बढ़कर 3698247 लाख रुपये और 2021-22 में 19.36 प्रतिशत बढ़कर 4414148 लाख रुपये हो गई।
अब मुश्किल की बात यह है कि प्रदेश सरकार प्राप्तियों में केंद्र सरकार का हिस्सा बढ़ता ही जा रहा है। 2019-20 में राज्य के राजस्व प्रतियों में केंद्र से मिलने हिस्सा 27.05 फीसद था।
2019-20 में राज्य की राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा 27.05 प्रतिशत था।
2021-22 में राज्य की राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा और बढ़ 46.81 फीसद हुआ।
प्रदेश पर घरेलू ऋण से राजस्व प्राप्तियां 2019-20 में 18.54 फीसद थीं जो 2021- 22 में वह बढ़कर 59.58 फीसद हुई।
प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करो का हिस्सा 48.90 फीसद, व्याज व संपत्ति से राज्य सरकार का हिस्सा 182 फीसद अन्य स्रोतों का हिस्सा 22.23 प्रतिशत था। 2020-21 में राज्य के राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से मिलने वाला हिस्सा बढ़कर 45.29 फीसद का 20.14 हो गया। इस प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष करों का हिस्सा घटकर37.74 फीसद रह गया, व्याज संपत्ति से राजस्व का हिस्सा भी घटकर 1.44 फीसद हो गया व अन्य स्रोतों का हिस्सा भी पटकर 15.53 फीसद ही रह गया।
2021-22 में भी यही प्रवृत्ति जारी है। राज्य के राजस्व प्राप्तियों में केंद्र से हिस्सा और बढकर 46.81 फीसद होगा। इस प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष करों का हिस्सा मामूली बढ़कर 37.98 फीसद रह गया, व्याज व संपत्ति से राजस्व का हिस्सा कुछ बढ़कर 2.06 फीसद हो गया व अन्य स्रोतों का हिस्सा और घटकर 13. 15 फीसद ही रह गया।
इतना ही नहीं प्रदेश पर घरेलू ऋण का भी बढ़ता ज रहा है। 2019-20 में राज्य को एडवांस व अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण का हिस्सा महज 18.54 फीसद था जबकि 2021-22 में यह बढ़कर 59.58 फीसद हो गया है।
बीते तीन साल के आंकड़े देखें तो 2019-20 में राज्य को ऋण, एडवांस का अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण से 18.54 फीसद,जमा व एडवांस 4.97 प्रतिशत सस्पेंस एवं अन्य का 76.46 फीसद हिस्सा था। 2020,21 में राज्य को एडवांस व अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण से 45.91 फीसद जमा का 10.74 प्रतिशत सस्पेंस, विविध एवं अन्य का 28 फीसद रेमिटेसेस का 12.35 फीसद हिस्सा था।
2020-22 में राज्य को ऋण, एडवांस व अन्य प्राप्तियों में घरेलू ऋण का हिस्सा और बढ़कर 59.58 फीसद हो गया, जमा व एडवांस का 17.85 प्रतिशत, सस्पेंस एवं अन्य फीसद व रेमिटेसेस का हिस्सा घटकर 2.44 फीसद रह गया है।