नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल जेल की सजा सुनाई है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने ये फैसला सुनाया है।
रोडरेज का ये मामला 34 साल पुराना है। सिद्धू के साथ हुई ये घटना 1988 की है। पटियाला में 27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिद्धू ने बीच सड़क पर अपनी गाड़ी पार्क की थी। उसी समय गुरनाम सिंह दो अन्य लोगों के साथ बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे।
बीच सड़क पर गाड़ी देखकर सिद्धू से उसे हटाने को कहा था। बहस हुई और बाद में नवजोत सिंह सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की और मौके से फरार हो गए। मारपीट के कारण गुरनाम घायल हो गया। लोग उन्हें अस्पताल ले गए, उसने दम तोड़ दिया।
अदालत ने अपने 15 मई, 2018 के एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा को बदल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आईपीसी की धारा 304 ए के तहत गैर इरादतन हत्या के लिए सिद्धू को दोषी ठहराने की गुरनाम सिंह के परिवार की याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने सिद्धू को धारा 323 के तहत अधिकतम सजा दी।
नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल के कारावास की सजा दी गई है। फैसले के बाद पंजाब पुलिस ने कांग्रेस नेता को गिरफ्तार करने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि पुलिस उन्हें सजा काटने के लिए पटियाला जेल भेज सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 25 मार्च को नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि सिद्धू की सजा बढ़ाई जाए या नहीं। पीड़ित परिवार की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया था।
बता दें कि इस मामले की सुनवाई कई सालों तक चली। सितंबर 1999 में निचली अदालत ने नवजोत सिह सिद्धू को आरोपों से बरी कर दिया। पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट में अपील की थी। फिर हाई कोर्ट ने दिसंबर 2006 में सिद्धू समेत दो लोगों को गैर इरादतन हत्या मामले में दोषी करार दिया।
इसके बाद हाई कोर्ट ने 23 साल पहले दोनों दोषियों को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई थी। नवजोत सिंह सिद्धू और रूपिंदर सिंह संधू ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को मारपीट मामले में दोषी करार देते हुए हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। पीड़ित पक्ष ने एक बार फिर पुनर्विचार याचिका दायर की थी।