प्रीति डिमरी की अवैध नियुक्ति के विरुद्ध देहरादून निवासी RTI कार्यकर्त्री सावित्री वर्मा ने 2017 में RTI के माध्यम से सूचना हासिल की थी। उसके बाद उसने इस अवैध नियुक्ति की शिकायत की थी और जांच की मांग की थी। 2018 में THDC-IHET के निदेशक डॉ GS तोमर और WIT निदेशक डॉ अलकनंदा अशोक ने इस नियुक्ति की जांच करके इस नियुक्ति को अवैध पाया था। डॉ प्रीति डिमरी ने और उसके पति ने सावित्री वर्मा और तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी, जिसने इस पूरे घोटाले को उजागर किया, उन्हें बहुत सारी धमकियां दी, और उनके खिलाफ झूठी शिकायतें, FIR और मुकद्दमे दाखिल किए जो सब निरस्त हो गए। संस्थान में और शासन में जो भ्रष्ट अधिकारी प्रीति डिमरी को संरक्षण दे रहे थे, वो सब एक के एक बाद एक चले गए। फिर भी प्रीति डिमरी की ऊंची पहुंच के चलते उसकी अवैध नियुक्ति चलती रही और अभी भी चल रही है। इस दौरान प्रीति डिमरी ने प्रमोशन के लिए हाई कोर्ट में रिट याचिका संख्या WPSB 19/2014 दायर की थी, वह भी खारिज हो गई। इन सब तथ्यों को छुपाते हुए प्रीति डिमरी ने 2022 में फिर प्रमोशन के लिए इंटरव्यू दिया और अपना चयन भी करवा लिया। निदेशक डॉ यशवीर सिंह ने भी सब तथ्यों को जानते हुए भी संस्थान की प्रशासकीय परिषद से सब तथ्य छुपाए और परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों को अंधेरे में रखते हुए प्रोफेसर के पद पर 14 मई की प्रशासकीय परिषद में पदोन्नति मंजूर भी करवा ली। बाद में तकनीकी शिक्षा सचिव को सच्चाई का पता चलते ही उन्होंने सभी पदोन्नतियां स्थगित करते हुए 30 मई को इस प्रकरण में जांच समिति गठित कर दी। जांच समिति ने 28 जून को इस प्रकरण में 281 पृष्ठों की रिपोर्ट दी, जिससे संस्थान की सभी अवैध पदोन्नतियों का भंडाफोड़ हो गया। निदेशक डॉ यशवीर सिंह ने डॉ अनिल कुमार गौतम और डॉ ममता बौंठियाल के वेतनमान निर्धारण से संबंधित प्रकरणों में विचाराधीन रिट याचिका संख्या WPSB 387/2013 और WPSB 388/2013 को भी प्रशासकीय परिषद से छुपाया। जिसे जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में उजागर कर दिया। अब ये प्रकरण प्रशासकीय परिषद की आगामी बैठक में रखा जायेगा, जिसमें कई शिक्षकों के प्रमोशन निरस्त किए जाने की संभावना है।