देहरादून: राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हो गया लेकिन इस चुनाव के बाद से कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है।
चुनाव के बाद जीते हुए के कांग्रेसी के विधायक भाजपा की तरफ पालाबदल कर ही रहे हैं लेकिन अब राष्ट्रपति चुनाव में उत्तराखंड कांग्रेस के एक विधायक ने पार्टी को धोखा देकर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर पार्टी नेतृत्व के कान खड़े कर दिए हैं।
इससे साफ पता चल रहा है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर भाजपा के हमदर्दी है।
कांग्रेस के भीतर भाजपा की ‘हमदर्द’ काली भेड़ बैठी होने की तस्दीक़ कर गया है।
क्रॉस वोटिंग को लेकर देहरादून से लेकर दिल्ली तक हड़कम्प मचा हुआ है हैरान कर देने वाली बात है कि आखिर भाजपा का यह भेदियों कौन है जो विधायक बनकर कांग्रेस में छिपा हुआ है। आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से रिपोर्ट तलब कर ली है लेकिन क्या कांग्रेस आलाकमान के लिए आसान होगा इस ‘काली भेड़’ को खोज पाना!
आखिर कांग्रेस आलाकमान के सख्त निर्देश के बावजूद हुई क्रॉस वोटिंग ने पार्टी में सबको सकते में डाल दिया है। साथ ही इस ‘काली भेड़’ ने प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष की रणनीतिक पर भी सवाल खडे कर दिए हैं।
जाहिर है यह कांग्रेस की उस कमजोरी को साबित करता है जिसके तहत बार बार सियासी गलियारे में यह चर्चा उठती रही है कि अभी भी कांग्रेस में एक से अधिक ऐसे विधायक और वरिष्ठ नेता हैं जिनकोे या तो अपने खिलाफ विभिन्न जाँचों के चलते ईडी-सीबीआई से डर लगता है या फिर एकाध कांग्रेस के विधायक ऐसे हैं जिनको मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सियासी अंदाज ए बयां इतना रास आ रहा है
कहते तो यहां तक हैं कि वह तो मुख्यमंत्री धामी का ही निजी फैसला था कि वे चंपावत से अपनी पार्टी के विधायक कैलाश गहतोड़ी की सीट खाली कराकर ही उपचुनाव लड़ेंगे। वरना एकाध विधायक तो खुला सीट ऑफर कर गौरवान्वित होना चाह रहे थे और एकाध अंदर ही अंदर अपनी सीट से मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ाने को आतुर थे।
अब कांग्रेस को बड़ा डर यह है कि कहीं एक-दो से अधिक विधायकों में तो भाजपा को लेकर ‘प्रेम’ और कांग्रेस कुनबे में घुटन महसूस नहीं हो रही! कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने साफ कह दिया कि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक ने निकृ्ष्टता का उदाहरण पेश किया है यदि थोड़ी नैतिकता बच्ची है तो खुलकर सामने आ जाएं या खुद पार्टी छोड़कर चला जाए।
फिलहाल करन माहरा और यशपाल आर्य ने जांच रिपोर्ट बनाकर कांग्रेस नेतृत्व को भेज रहे है। प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव भी इस मामले में आलाकमान की तरफ से एक्शन का दम भर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के जानकार नेता यह भी मान रहे हैं जांच कितनी भी करा ली जाए लेकिन अब यह पता लगाना बेहद कठिन या कहिए असंभव जैसा है कि यह पता चल पाए कि फलां विधायक ने पार्टी की लक्ष्मण रेखा लांघकर भाजपा/एनडीए के पक्ष में वोट डाला।
उत्तराखंड विधानसभा के 70 सदस्यों में से 67 विधायक ही वोट डाल पाए थे। धामी सरकार में परिवहन मंत्री और बागेश्वर से भाजपा विधायक चंदनराम दास मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती होने के कारण वोट नहीं डाल पाए थे। अस्वस्थ होने के कारण किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलकराज बेहड़ भी वोट नहीं डाल पाए थे। जबकि बद्रीनाथ से कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भंडारी भी वोट डालने नहीं पहुंच पाए थे। जबकि कांग्रेस का एक वोट निरस्त भी हो गया।
इस तरह द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 46 भाजपा, दो बसपा, दो निर्दलीय और एक कांग्रेस विधायक की क्रॉस वोटिंग के चलते कुल 51 मत पड़े थे। जाहिर राष्ट्रपति चुनाव में जहां वोटिंग गोपनीय होती है और पार्टी विधायक दलीय व्हिप से भी बँधे नहीं होते हैं तब ‘काली भेड़’ को कोसा भले जाए खोजा जाना कठिन ही होगा।