उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उत्तराखण्ड के गुरिल्लाओं और उनकी विधवाओं को मणिपुर राज्य की तरह ही नौकरी और सेवानिवृत्ति के लाभ, तीन माह के भीतर देने के आदेश दिए हैं । मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई ।
मामले के अनुसार गुरिल्ला व कुछ गुरिल्लाओं की विधवाओं, जिसमें टिहरी गढ़वाल निवासी अनुसुइया देवी व 9 अन्य और पिथौरागढ़ के मोहन सिंह व 29 अन्य शामिल हैं, ने न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि वे आई.टी.बी.पी.से सशस्त्र प्रशिक्षण प्राप्त हैं । उनसे सरकार ने निश्चित मानदेय पर वोलियंटर के रूप में काम लिया । वे आई.टी.बी.पी.से प्रशिक्षित हैं, लेकिन 2003 में एस.एस.बी.के गठन के बाद वे एस.एस.बी.से सम्बद्ध हो गए । फिर उनसे काम लेना बंद कर दिया ।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार मणिपुर के गुरिल्लाओं ने इस सम्बंध में मणिपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी । जिसमें मणिपुर न्यायालय ने इन गुरिल्लाओं को नौकरी में रखने व सेवानिवृत्ति की आय वालों को पेंशन और अन्य लाभ देने के निर्देश दिए थे। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया था । इसके बाद मणिपुर सरकार ने वहां के गुरिल्लाओं को सेवा में रखा और सेवानिवृत्ति की उम्र के गुरिल्लाओं और दिवंगत हुए गुरिल्लाओं की विधवाओं को सेवानिवृत्ति के लाभ दिये हैं। इन याचिकाओं की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से उत्तराखण्ड के गुरिल्लाओं को मणिपुर के गुरिल्लाओं की भांति सुविधाएं देने के निर्देश दिए हैं ।