हनुमान जयंती पर नये संकल्प और सिद्धि
रिपोर्ट- भूपत सिंह बिष्ट
देहरादून। उत्तराखंड राज्य में कोरोना का प्रकोप प्रारंभिक चरण में है और 13 में से 7 जनपद अभी इससे अछूते हैं। पौड़ी जनपद का एक मात्र संक्रमित दुगड्डा निवासी भी ठीक होकर जा चुका है। यानि कल तक देहरादून 18, नैनीताल 6, उधमसिंहनगर 4, अल्मोड़ा, हरिद्वार व पौड़ी में एक संक्रमण दर्ज किया गया है। कुल 31 संक्रमण में 5 ठीक हो चुके हैं।उत्तराखंड में 7 अप्रैल तक कुल 1289 टेस्ट किए गये और 166 के परिणाम आना बाकि हैं। इन आंकड़ों के अनुसार पांच जनपदों में देहरादून 546, हरिद्वार 214, नैनीताल 208, उधमसिंहनगर 119 व पौड़ी में 74 कोरोना टेस्ट किए गए हैं। जो कि कुल कोरोना टेस्ट का 90 प्रतिशत है।
निसंदेह टेस्ट बहुत मंहगा है, और उत्तराखंड में हलद्वानी, ऋषिकेश मेंडिकल कालेज में ही इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च द्वारा अनुमोदित लैब में यह टेस्ट हो रहा है। उत्तराखंड सरकार कोरोना को लेकर कोई खतरा उठाने को तैयार नहीं है। वहीं 176 लोगों को हॉस्पिटल आइशोलेसन तथा 45,415 को घरों एवं संस्थानों में क्वारंटाइन किया जा रहा है। यह आंकड़ा बता रहा है कि, उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को सुरक्षा जांच में रखा गया है। देहरादून और पौड़ी में कोरोना संक्रमण के शुरूआती मामले विदेश से लौटे नागरिकों में पाये गए थे। मरकज़ जमात के लोगों ने उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों को हवा दी है और डीजीपी उत्तराखंड अनिल रतूड़ी ने आगाह कर दिया है कि, मरकज से जुड़े लोग यदि नागरिकों को संक्रमित करते हैं तो उन पर हत्या का अपराध दर्ज किया जा सकता है। ताकि संक्रमण से जुड़े जमाती स्वयं अपने स्वास्थ्य परिक्षण के लिए आगे आयें।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के तहद कोरोना से लड़ने को लॉकडाउन
आज भारत के 31 राज्य कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और लॉकबंदी का आज 15वां दिन है। श्रीमती शैलजा चंद्रा पूर्व स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार ने कहा है कि, भारत में पहली बार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के तहद लॉकबंदी करने के लिए बायोलोजिकल आपदा केस शामिल किया गया है। श्रीमती शैलजा ने बताया है कि, भारत में इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, नैशनल सेंटर ऑफ डिज़िज कंट्रोल, एम्स, पीजीआई जैसे संस्थान हर राष्ट्रीय विपदा में सहायक सिद्ध हुए हैं और डेंगू, प्लेग, हिप्पेटायटिस जैसी बीमारियों के उन्मूलन में हमेशा बड़ा योगदान देते हैं।
कोविड-19 महामारी रोकने के लिए आपातकालीन प्रावधान गृहसचिव भारत सरकार ने 25 मार्च को पूरे भारत में 21 दिन के लिए लागू कर दिया है। जिस के तहत उत्तराखंड में भी पूरी सतर्कता बरती जा रही है। महामारी फैलाने के दोषियों पर राष्ट्रीय आपदा कानून 2005 के साथ हत्या अभियोग दर्ज करने की चेतावनी डीजीपी अनिल रतूड़ी जारी कर चुके हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के अनुपालन में सभी धार्मिक मंदिरों और परिसरों को बंद किया गया है और अपवाद के लिए सरकारी अनुमति जरूरी है।
आवश्यक और अनिवार्यं सेवाओं को छोड़कर सरकारी संस्थान, कार्यालय और प्राइवेट वाणिज्य संस्थानों को बंद किया गया है या वे घर से ऑनलाइन सेवायें दे सकते हैं। ताकि अनिवार्य सामाजिक दूरी बनायी जाये। पुलिस, होमगार्डस, सिविलडिफैंस, ट्रेजरी-बैंक, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सफाई, राशन की दुकानें, मीडिया, आवश्यक संयत्र, भोजन व दवाइयों की होम डिलीवरी, पेट्रोलपंप, प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस आदि को आवश्यक सेवाओं में लिया गया है। शिक्षा संस्थान से लेकर राजनीतिक, सामाजिक, खेलकूद और सांस्कृतिक आयोजन पर पाबंदी हैं। आईपीसी की धारा 188 के तहत 15 फरवरी 2020 के बाद विदेशों से भारत लौटे प्रवासियों को स्थानीय प्रशासन के अनुरूप क्वारंटाइन में रहना है।
ताला बंदी ने राजस्व और आय घटायी अब आर्थिक चुनौतियां
कोरोना से बचने के लिए हाथ धोना, दूरी बनाकर रहना और घर में ठहरना बचाव के उपाय हैं। लेकिन भारत में बेघर लोगों के लिए यह सब करना नामुमकिन सा है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले और माइक्रो स्मॉल एवं मीडियम एंटरप्राइजेज से जुड़े लोगों को तालाबंदी के बाद नये सिरे से उद्यम को खड़ा करना है। उत्तराखंड में टूरिज्म, ट्रांसपोर्ट, होटल, रेस्ट्रां, निर्माण, फाइनेंस से जुड़े लोगों के लिए रोजगार और वेतन बचा पाने की चुनौती आ रही है। महाराष्ट्र सरकार के बाद केंद्र सरकार ने सांसदों, मंत्रियों के लिए वेतन कटौती करके साफ संदेश देना शुरू कर दिया है कि, आर्थिक आपदा की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। सांसद निधि को दो साल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी केंद्र सरकार को वेतन कटौती, विदेश यात्राओं में कटौती, विज्ञापन खर्च और दिल्ली में नई संसद निर्माण को स्थगित करने और इस मद के 20 हजार करोड़ कोरोना मद में खर्च करने की अपील की है। कांग्रेस की यह मांग भी है कि, पीएम केयर फंड को प्रधानमंत्री राहत कोष में मिला दिया जाये ताकि आपदा के लिए एकत्रित राशि का ऑडिट के साथ पारदर्शी तरीके से खर्च हो। आज हनुमान जंयती के अवसर पर हमें यह संकल्प लेने की जरूरत है कि, आपदा की इस घड़ी में कोरोना से जीत के लिए हमें एकजुट रहना है। धार्मिक उन्माद से दूर रहकर हम उन गरीब लोगों के लिए भोजन, पानी और आवास में सहयोग कर अपनी राष्ट्रीय भूमिका को निभायें। दान पुण्य की तस्वीरें सोशल मीडिया में डालने की जगह हम निरंतर अपनी इस जिम्मेदारी को मानवता के लिए निभायें।