होली के एक दिन पहले होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है फिर दूसरे दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। इस बार होलिका दहन, होली के मुहूर्त और तिथियों को लेकर काशी के विद्वान एक मत नहीं हैं।
होलिका दहन, होली के मुहूर्त व तिथियों को लेकर काशी के विद्वान एक मत नहीं हैं। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने सभी विवादों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि देशाचार, कुलाचार में सात को होलिका दहन ग्राह्य है। काशी में भी सात को होलिका दहन और आठ मार्च को होली मनाई जा सकती है। इससे पहले कुछ संगठनों ने सात मार्च को होली मनाने की बात कही थी।
सात मार्च को पूर्णिमा का मान शाम को 5:40 बजे तक है। सूर्यास्त 5:49 बजे होगा। ऐसे में पूर्णिमा के बाद 49 घटी और 38 पल का सूर्यास्त मिल रहा है। ऐसे में सात की शाम को भद्रा और पूर्णिमा के अंत के साथ सूर्यास्त भी मिल रहा है। ऐसे में वाराणसी की जनता सात मार्च की गोधूलि बेला में होलिका दहन करके आठ मार्च को होली मना सकती है।