Dehradun: उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय से सितंबर 2022 में बर्खास्त एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पहले बेटे की नौकरी छीन लिए जाने का गम और बाद में सरकारी आवास खाली कराने के नोटिस तथा ऋण वसूली को लेकर बैंक वालों से मिल रही धमकी से सदमे में आकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पिता की मौत हो गई। बर्खास्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की मां विगत बीस वर्ष से पैरालिसिस के चलते बिस्तर पर हैं। पांच साल की बड़ी बेटी की दोनों आंखों में मोतियाबिंद है और आर्थिक तंगी के कारण वे बेटी की आंखों का ऑपरेशन नहीं करवा पा रहे हैं।
अल्मोड़ा जनपद के विकासखंड लमगड़ा के ग्राम गोलीमेहर निवासी शिवराज सिंह नागरकोटी विधानसभा सचिवालय में चतुर्थ श्रेणी (परिचारक) कर्मचारी थे। वर्ष 2016 में शिवराज की नियुक्ति विधानसभा सचिवालय में तदर्थ कर्मचारी के रूप में हुई थी और उन्हें राज्य संपत्ति विभाग द्वारा केदारपुरम स्थित टाइप-ए श्रेणी का आवास आवंटित था। शिवराज घर में अकेले कमाने वाले सदस्य थे और देहरादून में रहकर अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की व्यवसथा तथा गांव में रह रहे अपने माता-पिता तथा भाई-बहनों की जिम्मेदारी उठा रहे थे। सितंबर 2022 में विधानसभा सचिवालय से भेदभावपूर्ण तरीके से बर्खास्त किए जाने के बाद शिवराज की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई थी और उनका पूरा परिवार दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज होने लगा था।
शिवराज ने अपनी बहन की शादी और गांव में पुश्तैनी मकान की मरम्मत के लिए बैंक से ऋण लिया था। नौकरी छिन जाने के बाद वे बैंक के लोन की किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ हो गए थे और उनकी लोन की किश्तें बाउंस हो रही थी। सूत्रों के अनुसार बैंक कर्मचारी उन पर ऋण वसूली को लेकर दबाव बना रहे थे। इससे उनके पिता काफी तनाव में थे। वहीं 09 फरवरी तथा 20 फरवरी को राज्य संपत्ति विभाग ने उन्हें सरकारी आवास खाली करने का नोटिस थमा दिया, जिससे उनके पिता को गहरा सदमा लगा। पहले से ही घर के इकलौते कमाने वाले बेटे की नौकरी छिन जाने से तनाव में चल रहे शिवराज के पिता हर सिंह नागरकोटी (उम्र 55 वर्ष) की 04 मार्च 2022 को हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई।
बीस साल से मां बिस्तर पर
देहरादून। विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शिवराज नागरकोटी की मां देवकी देवी (उम्र 50 वर्ष) पिछले बीस साल से पैरालिसिस के चलते बिस्तर पर हैं। उनके पिता ही मां की देखरेख करते थे। लेकिन शिवराज के सामने सबसे बड़ी चिंता यह है कि बिना नौकरी और तनख्वाह के पिता की अनुपस्थिति में किस तरह बीमार मां की देखरेख करेंगे। शिवराज घर पर अकेले कमाने वाले थे और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। शिवराज के दो छोटे भाई हिमांशु नागरकोटी और कमलेश नागरकोटी बेरोजगार हैं और दोनों की शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। एक बहन है मंजू, जिसकी शादी के लिए उन्होंने बैंक से कर्जा लिया था। आज बैंक का ऋण शिवराज के सिर पर है और घर-परिवार चलाने की चुनौतियां अलग हैं। बच्चे देहरादून में पढ़ रहे हैं और हालत यह है कि देहरादून में एक दिन में गुजारा कर पाना उनके लिए कठिन है।
बड़ी बेटी की दोनों आंखों में मोतियाबिंद
देहरादून। शिवराज नागरकोटी की दो छोटी-छोटी बेटियां हैं। बड़ी बेटी निधि पांच साल की है और डीएवी स्कूल में यूकेजी में पढ़ती है। छोटी बेटी अनु दो साल की है। निधि की दोनों आंखों में मोतियाबिंद है और आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वे बेटी की आंखों का ऑपरेशन नहीं करवा पा रहे हैं। शिवराज ने सोचा था कि वर्ष 2023 में बेटी की आंखों का ऑपरेशन करवाएंगे, लेकिन सितंबर 2022 में नौकरी से बर्खास्त किए जाने के बाद ऑपरेशन कैसे होगा, यह उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
अंत्येष्टि के लिए नहीं थे पैसे
देहरादून। शिवराज 04 मार्च को विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे थे, इसी दौरान उन्हें पिता के निधन की सूचना मिली। पिता की मृत्यु का समाचार मिलते ही उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। धरना स्थल पर अन्य कर्मचारियों ने उन्हें किसी तरह संभाला। हालत यह थी कि उनके पास पिता का अंतिम संस्कार करने तथा घर जाने के लिए किराए के पैसे तक नहीं थे। विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों ने 15 हजार रुपये जमाकर उन्हें बच्चों के साथ गांव भिजवाया और 05 मार्च को उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया।
पहले भी दिव्यांग कर्मचारी की मां की सदमे से हो चुकी है मृत्यु
देहरादून। विधानसभा से बर्खास्त एक दिव्यांग महिला कर्मचारी की मां की भी सदमे से मृत्यु हो चुकी है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (परिचारक) हेमंती को सितंबर माह में जब बर्खास्त किया गया था तो उनकी मां यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उनकी भी सदमे के चलते मृत्यु हो गई। हेमंती दिव्यांग हैं और अविवाहित हैं। नौकरी से हटाए जाने के बाद से उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया है।
बर्खास्त कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति हो रही खराब
देहरादून। विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दिनों-दिन खराब होती जा रही है। विगत 80 दिनों से बर्खास्त कर्मचारी विधानसभा के बाहर न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक विधानसभा और सरकार द्वारा उनकी सुध नहीं ली गई है। बर्खास्त कर्मचारी मोहन गैड़ा, दीप्ति पांडे, भगवती साणी, पुष्पा, आशीष शर्मा और कपिल धौनी का कहना है कि आज हम सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्री गोविंद सिंह कंुजवाल जी ने शिवराज नागरकोटी की ही तरह न जाने कितने गरीब युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदान किया और आज उनकी सात साल की सेवाओं को विधानसभा द्वारा एक झटके में समाप्त कर दिया गया। न कोई नोटिस दिया और न सुनवाई का अवसर। उनका कहना है कि जिन नियुक्तियों को 2018 में उच्च न्यायालय नैनीताल और 2019 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वैध करार दिया जा चुका था, उन्हें अब अवैध बताकर विधानसभा ने सैकड़ों परिवारों को बर्बाद कर दिया है। उस पर भी आधे कर्मचारियों को बचाया जा रहा है और आधे कर्मचारियों की बलि चढ़ा दी गई है।