लगातार कोटद्वार में लॉकडाउन तोड़ रहे भूखे मजदूऱ
कोटद्वार। कोटद्वार पुलिस और प्रशासन द्वारा मजदूरों की अनदेखी करने के कारण कोरोना वायरस कोविड 19 की रोकथाम के लिये सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन तोड़ कोटद्वार में एकबार फिर सैकड़ों भूखे मजदूरों का हुजूम कलालघाटी पुलिस चौकी पहुंचा गया। हालात की गम्भीरत को देखते हुए पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे।शुक्रवार को लॉकडाउन में फंसे सिडकुल जशोधरपुर स्थित फैक्ट्रियों के सैकड़ों श्रमिक दो माह का वेतन दिलाने या फिर घर जाने की अनुमति देने की मांग को लेकर कलालघाटी चौकी जा धमके। यह सभी श्रमिक एक जगह पर एकत्रित हुए थे। अगर इनमें से कोई एक भी कोरोना वायरस से संक्रमित होगा तो स्थिति भयावह हो सकती है। मजदूरों का कहना था कि कोरोना वायरस से तो वह बाद में मरेगें, लेकिन भूख से वह पहले ही मर जायेगें।
पुलिस के अनुसार जशोधरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित संत स्टील, कोटद्वार स्टील, मातेश्वरी, हिमगिरि, सूमो स्टील, अमृत वर्षा, प्रयाण स्टील, भाग्यश्री आदि फैक्ट्रियों के मजदूरों को करीब दो माह से वेतन न मिलने का आरोप लगाते हुए मजदूरों ने उनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न होने की बात कही है।वेतन ने मिलने से आक्रोशित श्रमिकों ने शुक्रवार को कलालघाटी पुलिस चौकी में हंगामा काटा। हंगामा बढ़ता देखकर तहसीलदार डबल सिंह रावत, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनोज रतूड़ी मौके पर पहुंचे। तहसीलदार के आश्वासन के बाद ही श्रमिक शांत हुए। विदित हो कि विगत 10 अप्रैल को भी कोटद्वार स्टील फैक्ट्री के श्रमिक तहसील में पहुंचे। श्रमिकों ने उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा को शिकायत पत्र सौंपते हुए कहा था कि वह कोटद्वार स्टील फैक्ट्री में काम करते है। उन्हें पिछले डेढ़ माह से वेतन नहीं मिला है। वर्तमान में लॉक डाउन के कारण उनके पास खाने का सामान भी नहीं है। ऐसे में वह भूखे पेट ही सोने को मजबूर है।
उक्त फैक्ट्रियों के श्रमिकों ने आरोप लगाया कि, उनको पिछले दो माह से वेतन न मिलने से उनके सामने परिवार के भरण पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है। शुक्रवार को श्रमिकों का सब्र भी जवाब दे गया। आक्रोशित करीब 300 मजदूर और कर्मचारी कलालघाटी पुलिस चौकी पहुंचे और हंगामा काटने लगे। श्रमिकों ने कलालघाटी चौकी पर जमकर हंगामा काटा। दीपक शर्मा, राकेश कुमार, विनोद कुमार, सोनू कुमार, सुजीत कुमार, अशोक कुमार, वीरलाल गिरी, रामवृक्ष, शिव कुमार, सीताराम आदि का कहना है कि फैक्ट्री स्वामियों और ठेकेदारों की मनमानी के चलते श्रमिकों और कर्मचारियों को पिछले दो माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, जिसके कारण उनके सामने खाने के लाले पड़ गए हैं। उनका आरोप था कि वे कई दिनों से पुलिस और प्रशासन के चक्कर काट रहे पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
श्रमिकों द्वारा चौकी के घेराव की सूचना मिलते ही तहसीलदार डबल सिंह रावत, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनोज रतूड़ी, एसएसआई प्रदीप नेगी कलालघाटी पुलिस चौकी पहुंचे और श्रमिकों से वार्ता की। अधिकारियों को श्रमिकों ने बताया कि, संत स्टील, कोटद्वार स्टील, मातेश्वरी, हिमगिरि, सूमो स्टील, अमृत वर्षा, प्रयाण स्टील, भाग्यश्री आदि फैक्ट्री के मालिकों द्वारा पिछले दो माह का वेतन नहीं दिया गया है जिससे उनके सामने खाने के लाले पड़ गए हैं। तहसीलदार और कोतवाल ने श्रमिकों को आश्वासन दिया कि वे फैक्ट्री मालिकों और ठेकेदारों से वार्ता कर उन्हें राशन और वेतन दिलवाया जायेगा। पुलिस और प्रशासन के आश्वासन के बाद ही श्रमिक शांत हुए। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनोज रतूड़ी ने बताया कि उक्त फैक्ट्रियों में दो-तीन को छोड़कर सभी फैक्ट्रियों ने अपने कर्मचारियों को वेतन दे दिया है। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री मालिकों से फोन पर वार्ता की गई। कुछ फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि कर्मचारियों को मार्च माह तक का वेतन दिया गया है। जिन्होंने वेतन नहीं दिया है उन्होंने भी जल्द ही वेतन देने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को वेतन न देने की स्थिति में मुकदमा दर्ज किया जायेगा।
कलालघाटी चौकी में मजदूर से वार्ता करते हुए अधिकारी
जांच कमेटी तक सिमटा प्रशासन
जब भी श्रमिक अपनी मांगों को लेकर तहसील में अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्याओं को रखते है अधिकारी उन्हें जांच करने का आश्वासन दे देते है। बकायदा जांच के लिए कमेटी गठित भी की जाती है, लेकिन जांच की रिर्पोट आज तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। दीपक शर्मा, राकेश कुमार, विनोद कुमार, सोनू कुमार, सुजीत कुमार, अशोक कुमार, वीरलाल गिरी, रामवृक्ष, शिव कुमार, सीताराम आदि का कहना है 8 अप्रैल को पार्षद की ओर से एसडीएम कोटद्वार को श्रमिकों को वेतन दिलाने की मांग को लेकर लिखित शिकायत की थी और उससे पूर्व भी श्रमिकों को वेतन दिलाने की मांग को लेकर एसडीएम कोटद्वार को मौखिक रूप से शिकायत की थी। जिस पर एसडीएम के द्वारा जांच के लिये दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी, लेकिन आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया कि जांच रिर्पोट में क्या निष्कर्ष निकला। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया है और मजदूरों के पास जो जमा पूंजी थी वह भी खत्म हो गई है। उन्होंने प्रशासन से श्रमिकों का बकाया वेतन दिलाने की मांग की है।
पहले भी लॉकडाउन तोड़ चुके हैं ये भूखे श्रमिक तब कोटद्वार पुलिस और प्रशासन ने ऐसे टरका दिया था श्रमिकों को
कोटद्वार। विगत 10 अप्रैल को भाबर क्षेत्र के जशोधरपुर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित कोटद्वार स्टील फैक्ट्री के श्रमिकों को पिछले डेढ़ माह से वेतन नहीं मिलने पर भुखमरी की हालात पैदा हुई तो उन्होंने वेतन दिलाने के लिये पुलिस का सहारा लिया लेकिन पुलिस ने फैक्ट्री के ठेकेदार से फोन पर बात करा कर कि वह राशन दिला देगा उन्हें घर भेज दिया था। गत 8 अप्रैल को श्रमिक कलालघाटी चौकी पहुंचे थे, जहां फोन पर ठेकेदार ने राशन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन जब श्रमिकों को राशन नहीं मिला तो भूखे श्रमिक 10 अप्रैल को उपजिलाधिकारी के समक्ष दर्जनों श्रमिक शिकायत दर्ज कराने आये। श्रमिकों ने उपजिलाधिकारी को शिकायत पत्र सौंपकर शीघ्र ही वेतन दिलाने की गुहार लगाई है। श्रमिकों का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबन्धन से कई बार वेतन देने की मांग कर चुके है, लेकिन अभी तक वेतन नहीं दिया गया है। वेतन न मिलने से उनके सामने परिवार के भरण पोषण का संकट उत्पन्न हो गया है।
उन्होंने बताया कि, कंपनी के मालिक दिल्ली रहते है और ठेकेदार भी अपने गांव बिहार गया हुआ है। जब वेतन के संबंध में प्रबंधन से वार्ता की गई तो प्रबंधन यह कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं कि फैक्ट्री मालिक किसी का भी फोन नहीं उठा रहे हैं। कलालघाटी पुलिस चौकी में भी मौखिक रूप से शिकायत की गई, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लॉक डाऊन में भी वेतन देने के निर्देश दिए गए हैं किंतु उनके फैक्ट्री प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। श्रमिकों ने उपजिलाधिकारी से पिछले डेढ़ माह का वेतन फैक्ट्री मालिक से दिलाने की मांग की है। ताकि वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। तब भी उपजिलाधिकारी ने श्रमिकों को कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
तब क्या कहना था चौकी प्रभारी का
कलालघाटी चौकी प्रभारी संदीप शर्मा का तब कहना था कि कोटद्वार स्टील फैक्ट्री के श्रमिक 8 अप्रैल को चौकी आये थे। श्रमिकों का कहना था कि उन्हें डेढ़ माह से वेतन नहीं मिला है। जिस कारण उनके समक्ष आर्थिकी का संकट उत्पन्न हो गया है। जिस पर फैक्ट्री के ठेकेदार से फोन पर वार्ता की गई, ठेकेदार ने बताया कि वह इस समय बिहार में है और लॉक डाउन के कारण आ नहीं सकता है। ठेकेदार ने बताया कि मेरे जो श्रमिक है उन्हें पर्याप्त राशन देने के लिए जशोधरपुर कोटद्वार में एक दुकानदार को बोला है।
लॉकडाउन तोड़ 14 अप्रैल को भी करीब ढाई सौ श्रमिक पहुंचे थे तहसील
प्रशासन श्रमिकों के लिए भोजन की व्यवस्था करने में नाकाम
कोटद्वार में प्रशासन श्रमिकों की व्यवस्था करने में नाकाम रहा है। आये दिन श्रमिकों की समस्याएं प्रकाश में आ रही है। विगत 14 अप्रैल को गोरखपुर उत्तर प्रदेश के करीब ढाई सौ श्रमिक तहसील पहुंचे थे। श्रमिकों का कहना था कि उनके पास खाने के लिए राशन नहीं है और ना ही जेब में पैसे है। श्रमिकों ने प्रशासन ने राशन और घर जाने की अनुमति देने की मांग की थी। उस समय स्थानीय प्रशासन ने श्रमिकों से कहा था कि उन्हें राशन उपलब्ध करा दिया जायेगा, लेकिन जब मजदूरों को राशन नहीं मिला तो वह 20 अप्रैल को फिर तहसील में पहुंचकर राशन देने की मांग करने लगे, परन्तु तहसील प्रशासन ने मजदूरों को यह कहकर कोतवाली भेज दिया कि उन्हें कोतवाली से ही राशन मिलेगा। इसके बाद सभी मजदूर कोतवाली पहुंचे। जहां पुलिस कर्मियों ने मजदूरों को यह कहकर तहसील भेज दिया कि मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था करने की जिम्मेदरी तहसील प्रशासन की है। इससे पूर्व भी जशोधरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थिति दो फैक्ट्रियों के श्रमिक भी तहसील पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भी आज न तो प्रशासन वेतन दिया पाया और ना ही राशन उपलब्ध करा पाया। ऐसे में मजदूर वर्ग भूखे पेट सोने को मजबूर है।