आज नैनिताल राजभवन को बने पूरे हुए 122 वर्ष
– इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तरह सरोवरनगरी नैनीताल में चर्चित गौथिक शैली में बना ऐतिहासिक राजभवन 27 अप्रैल को हुआ 122 साल का
रिपोर्ट- ललित मोहन भट्ट
नैनीताल। इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तरह सरोवरनगरी नैनीताल में चर्चित गौथिक शैली में बना ऐतिहासिक राजभवन 27 अप्रैल को 122 साल का हो गया। अद्भुत शिल्प के लिए प्रसिद्ध राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी गई थी। अंग्रेजी के ई-आकार में बनी इस इमारत के निर्माण में सर एंथोनी पैट्रिक मैकडोनल्ड की खास भूमिका रही। 220 एकड़ राजभवन क्षेत्र में 160 एकड़ क्षेत्र जंगल है, जबकि 1975 में 75 एकड़ क्षेत्रफल में गोल्फ मैदान बनाया गया। 1994 में राजभवन की सुंदरता को देखते हुए आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया। यह भवन सन 1900 में बनकर तैयार हुआ। मुंबई में बने एतिहासिक छत्रपति शिवाजी टर्मिनल की डिजाइन करने वाले चर्चित डिजाइनर फेड्रिक विलियम स्टीवन ने ही नैनीताल राजभवन का डिजाइन तैयार किया था।
देश का पहला वन महोत्सव हुआ था राजभवन में
आजादी के बाद 1950 में देश का पहला वन महोत्सव नैनीताल राजभवन में ही आयोजित किया गया था। तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री केएम मुंशी का लगाया बांज का पेड़ आज भी महोत्सव की याद ताजा कर रहा है।
अवध की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी रहा है नैनीताल
नैनीताल में इस राजभवन से पहले भी राजभवन बने हैं। अवध की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद इस राजभवन में 1862 में नार्थ वेस्ट प्रोविंस के गवर्नर का प्रवास शुरू हुआ। नैनीताल में पहला राजभवन 1862 में रैमजे अस्पताल परिसर में स्थापित किया, फिर 1865 में राजभवन को मालडन हाउस में स्थानांतरित किया गया। 1875 में राजभवन स्नोव्यू में स्थापित किया गया।
115 कमरों के दोमंजिला भवन में स्वीमिंग पूल भी
नार्थ वेस्ट प्रोविंस के गवर्नर सर एंटोनी मैक्डोनल को मौजूदा राजभवन के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। बर्मा टीक, स्थानीय पत्थर, इंग्लैंड से लाए गए शीशे व टाइल का उपयोग कर एशलर फिनिशिंग ने इस इमारत को चार चांद लगा दिए। 115 कमरों के दोमंजिला भवन में स्वीमिंग पूल भी है। इस राजभवन का निर्माण भूगर्भीय परीक्षण के बाद मजबूती से किया गया। इसकी वजह थी कि, नैनीताल के दो राजभवन में कमजोर भूगर्भीय स्थिति दरार आ गई थी।
राजभवन के अंदर नैनीताल का पहला गुरुद्वारा
इतिहासकार प्रो अजय रावत बताते हैं कि, गौथिक शैली में बने राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी गई थी। 1900 में इसका निर्माण पूरा हुआ। प्रो. रावत के अनुसार राजभवन में अंदर गुरुद्वारा की अनुमति दी गई। यह नैनीताल का पहला गुरुद्वारा था।