युवक ने लगाए पुलिस पर गंभीर आरोप। सवालों के घेरे में कलालघाटी पुलिस
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार/भाबर। कोरोना कोविड 19 महामारी लॉकडाउन के चलते कोटद्वार पुलिस की कोटद्वार शहर पुलिस मुस्तैदी को लेकर सरहाना हो रही है, वहीं कलालघाटी पुलिस अपनी कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर आरोपों के साथ कटघरे में खडी हो गई है। कलालघाटी पुलिस चौकी पर गंभीर आरोप लगाने वाले सुरेश चन्द्र ने उत्तराखण्ड पुलिस महानिदेशक, मुुख्य सचिव गृहमंत्रालय भारत सरकार व जिलाधिकारी पौड़ी को अपने भेजे शिकायती पत्र के अनुसार बताया कि, दिनांक 28 अप्रैल 20 रात्री को वार्ड 39 झण्डीचैड़ पूर्वी पार्षद रोहणी देवी को सूचना मिली कि, उत्तर प्रदेश वन सीमा क्षेत्र से कुछ व्यक्ति उत्तराखण्ड सीमा में घुसे चूंकि उनका वार्ड 39 झण्डीचौड़ पूर्वी और वार्ड 37 झण्डीचौड़ पश्चिमी उत्तरप्रदेश वन सीमा क्षेत्र से सटा हुआ है, और लाॅकडाउन के चलते प्रशासन ने इन सीमाओं को सील किया हुआ है और सुबह शाम इन सीमाओं में गस्त हो रही थी। इन सीमाओं के मुख्य संवेदनशील केन्द्रो पर पुलिस, पीआरडी, होमगार्ड की तैनाती की गई है। सायं 9 बजकर 30 मिनट पर वार्ड पार्षद रोहणी देवी को कुछ व्यक्तियों के उत्तर प्रदेश वन सीमा के रास्ते उनके वार्ड में घूसने की सुचना मिली तो उनके द्वारा स्थानीय पुलिस चौकी पर फोन किया गया, लेकिन सम्पर्क न होने के कारण उन्हें वार्ड पार्षद रोहणी देवी के द्वारा उत्तर प्रदेश वन सीमा में तैनात पुलिसकर्मीयों को सूचना देने भेजा गया।
लेकिन उन केन्द्रो पर कोई पुलिसकर्मी व सिपाही मौजूद नही था। फिर दुसरे केन्द्र उत्तरप्रदेश वन चौकी जोकि उत्तराखण्ड सीमा से सटा हुआ है, वहां पर पहुंचा तो उस जगह पर भी कोई पुलिसकर्मी नही मिला। तभी रात्री के 11 बजे वन चौकी के समीप अचानक पुलिसकर्मी रणजीत भण्डारी और उनके साथ सहयोगी होमगार्ड कार से पंहुचे और मैंने उनकों कुछ व्यक्तियों की उत्तरप्रदेश वन सीमा से उत्तराखण्ड में प्रवेश करने की सूचना दी जिसपर पुलिसकर्मी ने मुझे डांटना फटकारना शुरू कर दिया। मैंने बताया कि, मुझे वार्ड पार्षद द्वारा आपको सूचना देने हेतु भेजा गया है, क्योंकि आपका फोन नही मिल रहा है, इतना सूनते ही पुलिस भड़क गई और मुझे ही धमकी देने लगी। मेरे द्वारा जब केन्द्रो पर पुलिसकर्मीयों ड्यूटी के बारे में पुछा गया तो उन्होंने मुझे कुछ न बताकर उल्टा मुझे शराब पीकर उत्पात मचाने की धमकी दी जबकि पुलिसकर्मी रणजीत भण्डारी ने खुद शराब पी हुई थी।
जिसके बाद रणजीत भण्डारी द्वारा कलालघाटी चौकी इंचार्ज संदीप शर्मा को सूचना दी गई जिसपर आनन फानन में चौकी इंचार्ज संदीप शर्मा, कांसटेबल शेखर सैनी व शिवानन्द घिंडीयाल के साथ पहुंचे और मुझे कोतवाली थाना कोटद्वार ले आयें और मेरा फोन जब्त कर दिया गया। जिससे मैं पार्षद और अपने परिवार को अपनी गिरफ्तरी की सूचना नही दे पाया और न ही पुलिस द्वारा सूचना दी गई। पूरी रात मैं हवालात में बन्द रहा। अगले दिन मुझे पार्षद रोहणी देवी व वार्ड न. 37 के पार्षद सुखपाल शाह कोतवाली कोटद्वार पंहुचे और मेरी जमानत करवाई लेकिन मांगे जाने पर एफआईआर की प्रतिलिपि नही दी गई जिसके बाद अमर उजाला के पत्रकार भास्कर नेगी द्वारा व्हाटसप ग्रुप में पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट को डाला गया जिसके बाद मुझे अपने उपर किये गये कार्यवाही व मुकदमें की जानकारी प्राप्त हुई। जिस पर शिकायतकर्ता सुरेश चन्द्र ने बताया कि उन पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर कलालघाटी पुलिस ने उत्तरप्रदेश वन सीमा के रास्तों से लोगों के आने व उत्तराखण्ड उत्तरप्रदेश वन सीमा में कोई भी पुलिस न होने की बात को दबाने की कोशिस की।
वहीं वार्ड पार्षद रोहणी देवी का कहना है कि, उनके वार्ड में उत्तरप्रदेश वन सीमा से कुछ लोगों की घूसने की सूचना मिली जिसकी सूचना कलालघाटी चौकी इंचार्ज को देने चाही लेकिन उनसे संपर्क नही हो पाया जिस पर सुरेश चन्द्र को सूचना देने हेतू उत्तराखण्ड उत्तरप्रदेश वन सीमा में तैनात पुलिसकर्मीयों को सूचना देने भेजा गया था लेकिन वह देर रात तक वापस नही लौटा। सुबह उन्हें वार्ड37 के पार्षद सुखपाल शाह से पता चला कि सुरेश चन्द्र कोटद्वार कोतवाली में बंद है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कलालघाटी पुलिस लाॅकडाउन की पुरी धज्जियां उड़ा रही है। क्षेत्र में कच्ची शराब धड़ले से बिक रही है। कुछ ही दिन पूर्व एक युवक उनके वार्ड में कच्ची शराब के साथ पकड़ा गया और अभी भी कच्ची शराब बेचे जाने की सूचना मिल रही है जो कि उत्तर प्रदेश वन सीमा के रास्ते आ रही है। 28 अप्रैल के रात की घटना के बाद ये स्पष्ट हो चूका है कि कलालघाटी पुलिस किस तरह से मुस्तैदी से काम कर रही है।
मालिनी पार्षद संघ ने कलालघाटी पुलिस के इस रवैये का किया विरोध
मालिनी पार्षद संघ के अध्यक्ष जगदीश मेहरा ने कलालघाटी पुलिस के इस रवैये का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि समाज की सेवा करने वाले और पार्षद के प्रतिनिधि पर पुलिस द्वारा बदसलुकी और तनाशाही कार्यवाही बर्दास्त नही कि जायेंगी मालिनी पार्षद संघ के सभी पार्षदगण इस घटना का कड़ी निन्दा करती है और संलिप्त पुलिसकर्मी/अधिकारीयों पर कार्यवाही की मांग करती है। जिस मालिनी पार्षद संघ के पार्षद सदस्यों ने एसडीएम के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपा। वहीं पार्षद सुखपाल शाह का कहना है पुलिस को दिन में सम्मान दे रहें है और रात को पुलिस का चेहरा बेनाकाब हो रहा है। पुलिस की इस कार्यवाही की वो निंदा करते है और निष्पक्ष जांच की मांग करते है।
कोविड 19 लाॅकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश वन क्षेत्र में बने असंख्य रास्तों से उत्तराखण्ड में अवागमन हो सकता है? 28 अप्रैल को सायंकाल में कुछ लोगों की उत्तरप्रदेश वन क्षेत्र सीमा से वार्ड 39 झण्डीचैड पूर्वी यानि उत्तराखण्ड में आने की सूचना वार्ड पार्षद रोहणी देवी प्राप्त हुई है। वार्ड 39 में रहने वाले किरायेदार रविकुमार, सुनीता देवी, देवेन्द्र सिंह ने वार्ड पार्षद को सूचना दी की उनके पडोस में एक व्यक्ति नजीबाबाद से आया है जब वार्ड पार्षद के प्रतिनिधि सुरेश चन्द्र ने उस व्यक्ति का संज्ञान लिया तो उस व्यक्ति ने अपना नाम तिलकराम पुत्र हरलाल निवासी मुश्यापुर गांव जो नजीबाबाद से 8 किमी आगे है, होना बताया। जब उस व्यक्ति से किस रास्ते से आने की बात पूछी गई तो उस व्यक्ति ने उत्तरप्रदेश वन क्षेत्र से आना बताया। तो स्पष्ट है कि भले उत्तराखण्ड बार्डर सील हो गये हो लेकिन पुलिस की गैर मौजूदगी में इन रास्तों मे अवागमन लाॅकडाउन में भी हो रहा है। जो की एक बड़ी लापरवाही मानी जायेगी। जिसका खामियाजा कोटद्वार गढवाल और पुरा उत्तराखण्ड को भूगतना पड़ सकता है।
आखिर क्यों है झण्डीचौड़ सवेदनशील क्षेत्र
भाबर क्षेत्र के अन्तर्गत झण्डीचौड़ क्षेत्र जिसमें वार्ड 39 झण्डीचौड़ पूर्वी, वार्ड 37 झण्डीचौड़ पश्चिमी उत्तरप्रदेश वन सीमा से सटा हुआ क्षेत्र है जिसमें असंख्या रास्ते बने हुए इन रास्तों से नजीबाबाद बाजार की दूरी महज कुछ ही किमी रह जाती है। जंगलो का यह सफर महज दो किमी का है जिसके बाद नजीबाबाद तहसील का आबादी क्षेत्र चालू हो जाता है और दो गांवो के सफर के बाद यह रास्ता नहर वाले नेशनल हाईवे नजीबाबाद- हरिद्वार से मिल जाता है। इन रास्तों से उत्तराखण्ड में प्रवेश करना आसान है। जिस कारण इन क्षेत्रों से बाहरी लोगों व अज्ञात लोगो का आवागमन बना रहता है। कच्ची शराब भी इन्हीं क्षेत्रों से आने की सूचना मिलती रहती है। हो सकता कोटद्वार में अपराधी घटनाओं व चोरी जैसे घटनाओं को अंजाम देने के बाद अपराधी इन्हीं रास्तों को इस्तेमाल करते हो। इसलिए भाबर का यह क्षेत्र सबसे अधिक संवेदनशील है।