आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल में आने वाले समय पर नही होगी कानूनी दिक्कतें
आपको बता दें समिति की ओर आरक्षण बिल को जल्दी से जल्दी पारित करने के संबंध में अनुरोध किया गया था। राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल के एक-एक बिंदुओं पर गहन मंथन के बाद प्रवर समिति अंतिम नतीजे पर पहुंच गई है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति का कार्यकाल बढ़ाने की पुष्टि की है। ऐसा दूसरी बार हो रहा है की जब प्रवर समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया गया है। राजकीय सेवा में राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का इंतजार और बढ़ा दिया गया है।
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जानकारी अनुसार आरक्षण का ड्राफ्ट शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को सौंप सकती है। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रवर समिति की अंतिम बैठक बुलाई गई है। वैसे तो समिति ने 18 सितंबर को पहली बैठक की, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकल पाया । 25 सितंबर को समिति का कार्यकाल पूरा हो गया। समिति की मांग पर इसका कार्यकाल एक माह के लिए और बढ़ गया। 25 अक्तूबर को समिति का कार्यकाल पूरा हो रहा है। समिति की मांग पर अब कार्यकाल 25 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया। राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल के एक-एक बिंदुओं पर गहन मंथन के बाद प्रवर समिति अंतिम नतीजे पर पहुंच है। बीते 31 अक्तूबर को हुई बैठक में बिल में नए सुझावों को शामिल करने का निर्णय लिया। 3 नवंबर को होने वाली बैठक में ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर प्रवर समिति विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को सौंप सकती है। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल में आने वाले समय में किसी तरह की कानूनी दिक्कतें न आएं, इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है। समिति के सदस्यों के सुझाव को शामिल कर ड्राफ्ट पर शुक्रवार को अंतिम मुहर लगेगी। इसके बाद रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी जाएगी।