कुँवर जपेंद्र सिंह की याचिका पर हाइकोर्ट का बड़ा फैसला। लॉकडाउन के दौरान स्कूल अभिभावकों से न मांगे फीस
– उत्तराखंड के 15 लाख से अधिक अभिभावकों को मिली राहत
– ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ठगी बर्दाश्त नहीं
देहरादून। लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर अभिभावकों से ली जा रही फीस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के शिक्षा सचिव को विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं, वहीं कोर्ट ने LKG व UKG के छात्रों को दी जा रही ऑनलाइन शिक्षा का आंकड़ा भी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि, वो जिला और ब्लाक स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करें, ताकि कोई भी प्राइवेट स्कूल लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों से फीस ना ले सके।
वहीं कोर्ट ने सरकार को आदेश का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि, जो स्कूल अभिभावकों से जबरन फीस मांग रहे हैं उन पर तत्काल सरकार कार्रवाई भी करे। कोर्ट में सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि, राज्य सरकार के 2 मई 2020 के उस आदेश का पालन करें जिसमें सरकार द्वारा फीस देने पर रोक लगाई थी। मामले में कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षा सचिव को विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं कि, शिक्षा सचिव कोर्ट को बताएं कि प्रदेश भर में कितने छात्र छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं।
कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि, वह फीस जमा करने को लेकर अभिभावकों को किसी भी प्रकार का नोटिस जारी ना करें। साथ ही कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षा सचिव से पूछा है कि, उत्तराखंड में स्कूलों और अभिभावकों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की क्या सुविधा है। आपको बता दे कि, देहरादून निवासी जपेंद्र सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों के द्वारा ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर जबरन अभिभावकों से फीस मांगी जा रही है। साथ ही जबरन ऑनलाइन क्लास पढ़ाई जा रही है। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। वहीं उत्तराखंड में कई स्थानों पर इंटरनेट की व्यवस्था नही है और कई लोगो के पास मोबाइल व अन्य गैजेट नहीं है। जिससे कई बच्चे पढ़ाई से वंचित रह पा रहे हैं, लिहाजा ऑनलाइन पढ़ाई के स्थान पर दूरदर्शन के माध्यम से सभी बच्चों की पढ़ाई की जाए।