देहरादून। वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) में फर्जी डिग्री, वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर चल रहे छात्र आंदोलन ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। सरकार ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए कुलपति डॉ. ओंकार यादव, परीक्षा नियंत्रक डॉ. वी. के. पटेल और वित्त नियंत्रक विक्रम सिंह जंतवाल से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है।
छात्रसंघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने शासन के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह छात्र हित में एक सकारात्मक पहल है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो अगले सप्ताह से विश्वविद्यालय में पूर्ण तालाबंदी की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, शासन द्वारा गठित जांच समिति ने कुलपति डॉ. ओंकार यादव के खिलाफ गंभीर आरोपों की पुष्टि की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉ. यादव ने एक विवादित ई.आर.पी. सॉफ्टवेयर कंपनी को करोड़ों रुपए का लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। इतना ही नहीं, इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के सरकारी आदेश को दरकिनार कर, उसे आगामी सत्र में भी बनाए रखने का निर्णय लिया गया, जिसे सभी कॉलेजों पर थोपने की कोशिश की गई।
इन सबके चलते विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों में परीक्षा मूल्यांकन को लेकर गतिरोध उत्पन्न हो गया है। परीक्षा संपन्न होने के तीन माह बाद भी अधिकांश परिणाम घोषित नहीं किए गए हैं, जिससे छात्रों में भारी असंतोष है।
डीएवी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा, “सॉफ्टवेयर घोटाले और भ्रष्टाचार की वजह से छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। यदि सभी परिणाम जल्द और पारदर्शी तरीके से घोषित नहीं किए जाते तथा जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों को बर्खास्त नहीं किया जाता, तो आंदोलन को और तीव्र किया जाएगा।”