क्या है नया आदेश?
मुख्य सचिव द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, विभागों में स्वीकृत नियमित पदों पर कोई भी नियुक्ति अब दैनिक वेतन, संविदा, कार्यप्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक, तदर्थ या आउटसोर्सिंग के माध्यम से नहीं की जाएगी। केवल चयन आयोगों द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को ही इन पदों पर नियुक्त किया जाएगा।
न्यायालयी आदेशों से उपजा असमंजस
सरकार का कहना है कि संविदा कर्मियों के पक्ष में न्यायालयों द्वारा दिये गये स्थगन आदेशों व नियमितीकरण की मांगों के कारण चयनित अभ्यर्थियों को तैनात करने में लगातार कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है। इससे कई बार अवमानना जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है और नियुक्ति प्रक्रिया बाधित होती है।
नियमितीकरण की मांग बनी सरकार के लिए सिरदर्द
शासनादेश में कहा गया है कि कई विभागों में अस्थायी रूप से कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा नियमितीकरण की मांग की जा रही है, और इसके लिए न्यायालयों में मुकदमे भी दायर किये जा रहे हैं। इससे विभागीय कामकाज के साथ-साथ भर्ती प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है।
क्या होगा असर?
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प्रदेश में अब अस्थायी नौकरी पाने का रास्ता लगभग बंद हो जाएगा।
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सरकारी विभागों को अब केवल चयन आयोग के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों को ही नियुक्त करना होगा।
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बेरोजगार युवाओं को अब नियमित सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय राज्य की भर्ती प्रणाली को अधिक पारदर्शी और नियमित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, इससे अस्थायी रूप से कार्य कर रहे हजारों कर्मचारियों को झटका लग सकता है, जो वर्षों से नियमितीकरण की आस लगाए बैठे थे।