रेरा के आदेश पर कंपनी साहनी कंस्ट्रक्शन एलएलपी ने फ्लैट बुक करा चुके सभी 72 खरीदारों को उनकी जमा की गई 12 करोड़ रुपये की राशि 11% वार्षिक ब्याज समेत वापस कर दी है। जानकारी के अनुसार, जिन खरीदारों की संपर्क जानकारी उपलब्ध नहीं थी, उनके नाम बैंक ड्राफ्ट बनाकर रेरा कार्यालय में जमा करा दिए गए थे, जिन्हें अब संबंधितों ने प्राप्त कर लिया है।
संकट की शुरुआत और कानूनी मोड़
मई 2024 में सतेंद्र साहनी द्वारा फ्लैट से कूदकर आत्महत्या करने की घटना के बाद से परियोजना अधर में लटक गई थी। इस घटना में गुप्ता बंधु और उनके बहनोई पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद से परियोजना का कार्य ठप हो गया था।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रेरा ने तत्कालीन अध्यक्ष रबिंद्र पंवार के नेतृत्व में न सिर्फ परियोजना की बुकिंग से जुड़ी जानकारी मांगी, बल्कि खरीदारों के हितों की सुरक्षा के लिए बाकी साझेदारों को धनवापसी के निर्देश दिए। प्रोजेक्ट पार्टनरशिप के तहत संचालित हो रही थी, लेकिन बाकी साझेदार निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे।
देश में अनोखा उदाहरण
साझेदार संजय गर्ग के अनुसार, रेरा के निर्देश के बाद केवल 30 दिनों के भीतर पूरी राशि ब्याज समेत लौटाई गई, जो देश में एक रद्द की गई रियल एस्टेट परियोजना के संदर्भ में एक दुर्लभ उदाहरण माना जा रहा है।
निष्कर्ष
ईश्वरा नेचर परियोजना अब आधिकारिक रूप से बंद हो चुकी है। हालांकि यह मामला उत्तराखंड के रियल एस्टेट सेक्टर में निवेशकों और खरीदारों के लिए एक बड़ी सीख के रूप में देखा जा रहा है, जहां नियामक संस्था रेरा के समय पर हस्तक्षेप और निगरानी ने नागरिकों के हितों की प्रभावी रूप से रक्षा की।
