आपने देहरादून में बहुत सी मोमोज की दुकान देखी होंगीं। सोशल मीडिया के जरिए फूड ब्लॉगर्स के जरिए कई दुकाने आपने फेमस होती हुई देखी होंगी। लेकिन आज हम आपके लिए एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जहां पर मोमोज के साथ मुस्कुराहट पारोसी जाती है, और जो मोमोज दुकानदार हैँ उनकी कहानी प्रेणा देती है, अगर आप भी छोटी-छोटी मुश्किलों में हार मान जाते हैं जिम्मेदारियों से दूर भागते हैं तो आपको यह कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।
कुकरेती जी की कहानी एक ऐसी प्रेरणादायक गाथा है, जो साहस, संघर्ष, और मुस्कुराहट की ताकत को दर्शाती है। देहरादून की रिंग रोड पर एक छोटी सी ठेली, “Kukreti Momo’s King”, न सिर्फ स्वादिष्ट मोमोस के लिए मशहूर है, बल्कि एक ऐसे शख्स की जीवटता की कहानी भी बयां करती है, जिसने जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती को भी हार नहीं मानी।
कुकरेती जी, जिनका पूरा नाम शायद ही कोई पूछता हो, एक साधारण इंसान हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और हिम्मत से असाधारण मिसाल कायम की। उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा। कोई और होता तो शायद टूट जाता, लेकिन कुकरती जी ने हार नहीं मानी। हर दिन, सुबह से शाम तक, वह अपनी ठेली पर खड़े रहते हैं, अपने ग्राहकों को मुस्कुराहट के साथ मोमोस परोसते हैं। उनकी यह मुस्कान न सिर्फ उनके चेहरे पर, बल्कि हर उस व्यक्ति के दिल में भी बस जाती है, जो उनकी ठेली पर रुकता है।
उनकी ठेली कोई बड़ी दुकान नहीं, न ही वहाँ कोई शोर-शराबा या दिखावा है। बस एक छोटा सा स्टॉल, जहाँ ताज़ा मोमोस की भाप और कुकरती जी की मेहनत की खुशबू हवा में घुलती है। यहाँ आने वाला हर शख्स न सिर्फ मोमोस का स्वाद लेता है, बल्कि एक ऐसी कहानी का हिस्सा बनता है, जो जिंदगी को जीने का जज्बा सिखाती है। कुकरेती जी का मानना है कि काम में ईमानदारी और दिल में प्यार हो, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं।
वह अपनी बीमारी को कभी अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने देते। उनकी ठेली पर हर मोमो उनके संघर्ष का प्रतीक है, और हर ग्राहक की तारीफ उनकी जीत। देहरादून की सड़कों पर उनकी यह