राज्य निर्वाचन आयोग ने किया स्पष्ट खंडन
राज्य निर्वाचन आयोग ने इन सभी अफवाहों को खारिज करते हुए कहा है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के अंतर्गत संपन्न हो रहे हैं, और इस अधिनियम के अनुसार नगर निकाय और पंचायत दोनों की मतदाता सूची में नाम होने पर भी कोई निषेध नहीं है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति चुनाव लड़ने और मतदान करने दोनों के लिए पूर्ण रूप से पात्र है।
क्या कहा गया है अधिनियम में?
अधिनियम की धारा 9(13) के अनुसार, जिस व्यक्ति का नाम ग्राम पंचायत के निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में है, वह वहाँ मतदान करने और किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ने का पात्र है। इसी तरह,
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धारा 54(3) – क्षेत्र पंचायत के लिए
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धारा 91(3) – जिला पंचायत के लिए
समान प्रावधान स्पष्ट रूप से मौजूद हैं।
कोई नया निर्देश नहीं हुआ जारी
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता अथवा प्रत्याशी की पात्रता को लेकर कोई नया निर्देश जारी नहीं किया गया है। पहले से जो नियम लागू हैं, वे केवल पंचायतीराज अधिनियम में ही निहित हैं। आयोग ने अपील की है कि जनता केवल आयोग की वेबसाइट या जिला निर्वाचन अधिकारियों से ही प्रामाणिक जानकारी लें।
अफवाहों से बचें, आयोग की बात मानें
चुनावों में अयोग्यता से जुड़े प्रावधान अधिनियम की:
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धारा 8 (ग्राम पंचायत)
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धारा 53 (क्षेत्र पंचायत)
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धारा 90 (जिला पंचायत)
में साफ-साफ दिए गए हैं। इसलिए किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट या अफवाह भरे मैसेज पर भरोसा न करें।
राज्य निर्वाचन आयोग की अपील:
“कृपया सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं पर ध्यान न दें। अधिनियम और आयोग की आधिकारिक सूचना ही सही स्रोत हैं। संशय की स्थिति में अपने जिला निर्वाचन अधिकारी या आयोग से संपर्क करें।”