❝अब नहीं सहेंगे वेतन में लापरवाही – कर्मचारियों ने खोला मोर्चा❞
वरिष्ठ नर्सेस नेता सुनीता चंद्र तिवारी, मुख्य फार्मेसी अधिकारी संध्या रतूड़ी, समीर पांडेय, वरिष्ठ पदाधिकारी अनिल सिंह नेगी और अमित लांबा ने आरोप लगाया कि प्रशासन पिछले दो सप्ताह से केवल बहलाने का काम कर रहा है, लेकिन वेतन के नाम पर ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। इससे कर्मचारियों का सब्र अब जवाब दे चुका है।
“भुखमरी की कगार पर कर्मचारी” – बैंकों ने चस्पा किए नोटिस
संघर्ष समिति के अनुसार कई कर्मचारियों को बैंकों के लोन डिफॉल्ट नोटिस मिल चुके हैं। कई घरों में राशन तक नहीं बचा। इस संकटपूर्ण स्थिति में यदि किसी कर्मचारी के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है, तो इसका संपूर्ण उत्तरदायित्व विश्वविद्यालय प्रशासन और शासन का होगा।
प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेड़ा, उपशाखा अध्यक्ष छत्रपाल सिंह, मंत्री मनीष पंवार, महामंत्री के.के. तिवारी और अन्य पदाधिकारियों ने ऐलान किया कि—
आगामी आंदोलन की रूपरेखा:
🔹 14-15 जुलाई – चरणबद्ध प्रदर्शन
🔹 17-18 जुलाई – यदि वेतन न मिला तो महारैली व पुतला दहन
🔹 इसके बाद आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है
बड़ी मांगें:
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यदि विश्वविद्यालय वेतन नहीं दे सकता, तो कर्मचारियों को निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं के अधीन कर दिया जाए।
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आयुष सचिव और मुख्यमंत्री से अपील – हरिद्वार जनपद के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को समायोजित किया जाए, ताकि समय से वेतन मिल सके।
धरना और प्रदर्शन में सम्मिलित प्रमुख नाम:
के एन भट्ट, समीर पांडे, सतीश कुमार, के.के. तिवारी, अशोक कुमार, सुनीता तिवारी, संध्या रतूड़ी, कमलेश, ब्रिजेश, शिखा, चंदन चौहान, दिनेश लखेड़ा, ताजबर सिंह, मनीष पंवार, छत्रपाल सिंह, लोकेंद्र, त्रिलोकी प्रसाद, अजय कुमार, अरुण कुमार, अमित लांबा, अनिल नेगी, अशोक चंद्रा, संदीप, राजू कश्यप, ज्योति नेगी, सतीश कुमार, विनोद कश्यप, दीपक अदाना, बाला देवी, कैलाशो देवी, नीलम बिष्ट, कुसुम, नितिन, सुमंत पाल, राकेश कुमार, राकेश चंद्र, पुष्पा, ममता पाल, प्रबल सिंह आदि।
इस मुद्दे पर शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। देखना होगा कि कर्मचारियों के आंदोलन का अगला चरण क्या रंग लाता है।