क्या है मामला?
साल 2020 में इटावा में दो एकड़ भूमि पर ‘केदारेश्वर मंदिर’ के निर्माण की शुरुआत हुई थी, जिसमें लगभग 55 करोड़ रुपये की लागत आई है। मंदिर की संरचना, स्थापत्य शैली और गुंबद केदारनाथ मंदिर से प्रेरित है। मंदिर में करीब 7 फीट की शालिग्राम शिला स्थापित की गई है। निर्माण के लिए दक्षिण भारत के कारीगरों को विशेष रूप से बुलाया गया था।
हाल ही में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर मंदिर का वीडियो साझा किया, जिसके बाद उत्तराखंड में बवाल मच गया। तीर्थ पुरोहितों ने इस कदम को श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है।
उत्तराखंड सरकार की सख्ती
बता दें, 18 जुलाई 2024 को उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक अहम प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि देशभर में उत्तराखंड के चारधाम की नकल कर कोई भी मंदिर नहीं बनाया जा सकता। इस बाबत सभी राज्यों को पत्र भी भेजे गए थे और उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी।
सरकार की ओर से पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि, “इस मामले की जानकारी हाल ही में मिली है और जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। जल्द ही सभी तथ्यों को सामने लाया जाएगा।”
विपक्ष ने उठाए सवाल
उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा, “चार साल से मंदिर का निर्माण चल रहा था, फिर भी सरकार को खबर नहीं लगी। यह हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ है और सरकार को जवाब देना होगा।”
बीजेपी में मतभेद की झलक
इस मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीर्थ-पुरोहितों के विरोध को ‘अनावश्यक’ करार दिया। उन्होंने कहा, “देश में पहले भी कई मंदिरों की प्रतिकृति बनाई गई है। यदि श्रद्धा और भावना शुद्ध है, तो विरोध का कोई कारण नहीं बनता। ऐसे मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
क्या खास है ‘केदारेश्वर मंदिर’ में?
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बनावट: केदारनाथ धाम की हूबहू प्रतिकृति
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क्षेत्रफल: लगभग 2 एकड़
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लागत: करीब ₹55 करोड़
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मूर्ति: 7 फीट की शालिग्राम शिला
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निर्माण अवधि: 2020 से 2024
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विशेषता: दक्षिण भारतीय कारीगरों द्वारा निर्माण, पारंपरिक शैली में पत्थर और रंग-रोगन का प्रयोग
निष्कर्ष
इटावा का यह ‘केदारेश्वर मंदिर’ अब सिर्फ श्रद्धा का नहीं, राजनीति और आस्था के बीच की बहस का केंद्र बन गया है। अब देखना यह होगा कि जांच में क्या सामने आता है और उत्तराखंड सरकार इस मामले को किस दिशा में ले जाती है।