देहरादून: दून नगर निगम के स्वच्छता समिति वेतन घोटाले में पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है। नगर कोतवाली पुलिस ने पूर्व पार्षदों को नोटिस जारी कर उनसे फर्जी स्वच्छता कर्मियों के नाम पर जारी वेतन के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। आरोप है कि 99 फर्जी कर्मचारियों के नाम पर पांच साल में लगभग 9 करोड़ रुपये का वेतन निकाला गया।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा
2 दिसंबर 2023 को देहरादून नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी सोनिका ने प्रशासक के रूप में कार्यभार संभाला। इसी दौरान सफाई व्यवस्था से जुड़ी जांच में पता चला कि अलग-अलग वार्डों में दिखाए गए 99 सफाई कर्मचारी वास्तव में मौजूद ही नहीं थे।
5 साल में 9 करोड़ का फर्जी भुगतान
जांच में सामने आया कि स्वच्छता समितियों की सूची में दर्ज ये कर्मचारी मौके पर नहीं मिले, फिर भी उनके नाम पर पांच वर्षों में करीब 9 करोड़ रुपये का वेतन जारी किया गया। तत्कालीन सीडीओ झरना कामठान की जांच में यह खुलासा हुआ, जिसके बाद 6 जून 2025 को अपर नगर आयुक्त की शिकायत पर नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया।
हाईकोर्ट के दबाव में तेज हुई कार्रवाई
करीब डेढ़ साल तक यह मामला फाइलों में दबा रहा, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जांच की रफ्तार बढ़ी। अब पुलिस स्वच्छता समिति के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष की भूमिका की गहन जांच कर रही है।
पूर्व पार्षदों को नोटिस, दस्तावेज पेश करने के निर्देश
नगर कोतवाली प्रभारी प्रदीप पंत ने बताया कि कुछ पूर्व पार्षदों को नोटिस जारी कर दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने को कहा गया है। उनसे उन कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है जिनके खातों में वेतन गया और साथ ही इन कर्मचारियों के पते तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
प्रदीप पंत, नगर कोतवाली प्रभारी:
“स्वच्छता समिति वेतन घोटाले की जांच जारी है। नोटिस मिलने के बाद पूर्व पार्षदों को अपना पक्ष रखने और वेतन भुगतान के साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।”