उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में सुरक्षा के तमाम इंतजामों के बावजूद पेपर बाहर निकल गया। आयोग ने दावा किया था कि सभी 445 परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगाए गए थे, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ये जैमर केवल 4G नेटवर्क तक को जाम कर सकते थे। यही वजह रही कि 5G नेटवर्क पर लगाम नहीं लग पाई और पेपर लीक हो गया।
कैसे नाकाम रहे जैमर?
तकनीकी विशेषज्ञ बताते हैं कि जैमर केवल एक तय फ्रीक्वेंसी रेंज को ब्लॉक कर सकते हैं।
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4G नेटवर्क आमतौर पर 700 MHz, 1800 MHz और 2300 MHz बैंड पर काम करता है।
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जबकि 5G नेटवर्क उच्च फ्रीक्वेंसी बैंड पर चलता है जैसे 3300 MHz, 3500 MHz और 24 GHz (एमएम वेव)।
इसी कारण 4G जैमर 5G नेटवर्क को जाम नहीं कर सकते।
कहाँ फेल हुआ जैमर?
आयोग के सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने बताया कि जिस कक्ष से पेपर बाहर आया, वहां जैमर काम ही नहीं कर रहा था।
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शुरूआती रिपोर्ट में परीक्षा केंद्र के कक्ष-22 में जैमर न चलने की शिकायत आई थी।
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बाद में जांच में पता चला कि कक्ष-9 में भी जैमर काम नहीं कर रहा था।
आयोग ने इस संबंध में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) को पत्र भेजा है, जिसने ये जैमर लगाए थे।
केंद्र सरकार से मिले थे निर्देश
डॉ. बरनवाल ने बताया कि आयोग ने पहले ही केंद्र सरकार को पत्र भेजकर 4G और 5G दोनों को ब्लॉक करने वाले अपडेटेड जैमर लगाने की मांग की थी। कैबिनेट सेक्रेटरी ने इस पर निर्देश भी दिए थे, लेकिन ज्यादातर परीक्षा केंद्रों पर अभी भी पुराने 4G जैमर ही लगाए गए थे।
विशेषज्ञों की राय
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सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सभी परीक्षा केंद्रों पर 5G कम्पैटिबल जैमर नहीं लगाए जाते, तब तक पेपर लीक जैसी घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाना मुश्किल है।
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प्रदेश के अधिकतर शहरों में अब 5G नेटवर्क एक्टिव है, ऐसे में 4G जैमर पर निर्भर रहना तकनीकी खामी है।
निष्कर्ष
यूकेएसएसएससी परीक्षा में पेपर लीक की ताजा घटना ने एक बार फिर परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तकनीकी खामियों के कारण जहां अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लग रहा है, वहीं आयोग और सरकार पर भी कठोर कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।