85 फीसदी पद वर्षों से खाली, पदोन्नति से संभव नहीं भर्ती
शिक्षकों ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत इंटर कॉलेजों में पिछले 10–15 वर्षों से प्रधानाचार्य के लगभग 85 फीसदी पद खाली हैं। इसे देखते हुए सरकार ने 50 फीसदी पदों को सीमित विभागीय पदोन्नति परीक्षा से भरने का निर्णय लिया है। यह निर्णय स्वागत योग्य है, लेकिन शिक्षक संघ केवल एक मांग पर अड़ा हुआ है और बाकी लंबित 34 मांगों को नजरअंदाज कर रहा है।
संघ पर लगे असंवैधानिक संगठन संचालन के आरोप
भर्ती समर्थक शिक्षकों ने आरोप लगाया कि संघ का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और संगठन का इस्तेमाल असंवैधानिक तरीके से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंटर कॉलेजों में 1385 स्वीकृत प्रधानाचार्य पद हैं, जबकि हाईस्कूलों में केवल 910 प्रधानाध्यापक पद हैं। फीडर कैडर में 475 पद कम होने से केवल पदोन्नति से सभी पदों की पूर्ति संभव नहीं है।
स्थायी नेतृत्व के अभाव से प्रभावित हो रही पढ़ाई
शिक्षकों का कहना है कि लंबे समय से पद खाली रहने के कारण विद्यालयों में स्थायी शैक्षिक नेतृत्व का अभाव है। इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई और विद्यालयों के शैक्षिक वातावरण पर पड़ रहा है।
विधायकों का समर्थन और आगामी कार्यक्रम
प्रेस वार्ता में यह भी बताया गया कि विभागीय पदोन्नति परीक्षा को 30 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सभी ने मुख्यमंत्री को समर्थन पत्र भी भेजा है।
समर्थक शिक्षकों ने घोषणा की कि –
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2 अक्टूबर को परीक्षा के समर्थन में रक्तदान करेंगे और 1 घंटे का उपवास रखकर उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करेंगे।
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5 अक्टूबर को श्रीनगर में प्रस्तावित प्रदर्शन को स्थगित किया गया है, क्योंकि 7 अक्टूबर को माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय आने वाला है।
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यदि किसी कारणवश पदोन्नति परीक्षा निरस्त होती है, तो 9 अक्टूबर को शिक्षा मंत्री आवास का घेराव किया जाएगा।