देहरादून। रीच विरासत महोत्सव का 30वाँ संस्करण अस्सी साल पहले हिरोशिमा में हुए परमाणु बम विस्फोट के पीड़ितों की स्मृति को समर्पित है। विरासत समाज और संस्कृति के मानवीय पहलू के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता पैदा करने की दिशा में काम कर रहा है। वर्तमान में निरंतर युद्धों और संघर्षों का सामना कर रहे विश्व में यह समय की माँग है।
बहुप्रतीक्षित विरासत विरासत आर्ट एंड हेरिटेज महोत्सव 2025, 4 अक्टूबर, 2025 को डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्टेडियम, कौलागढ़ रोड, देहरादून में विश्व के प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजल अली खान के सरोद वादन के साथ शुरू होगा।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि एवं अन्य अन्य आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया जाएगा।यह महोत्सव भारतीय और विश्वव्यापी लोक एवं शास्त्रीय संगीत, नृत्य, कला, शिल्प और इतिहास की संस्कृति का एक ऊर्जावान उत्सव है। इसका आयोजन रीच द्वारा किया जाता है।
राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रीच के संस्थापक सदस्य और महासचिव आर.के. सिंह ने इस आयोजन की जानकारी साझा की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया, “विरासत भारत की समृद्ध कलात्मक परंपराओं और धरोहर को प्रदर्शित करने वाला एक वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव है। यह महोत्सव कलाकारों और शिल्पकारों को भारतीय संस्कृति के सार को बनाए रखते हुए अपनी लोक और शास्त्रीय कलाओं को प्रस्तुत करने का एक मंच प्रदान करता है। देश की महारत्न कंपनी ओएनजीसी की मदद से 1995 में शुरू हुई विरासत की यात्रा भारत और अन्य देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के 30 वर्ष पूरे कर रही है।”
15 दिवसीय महोत्सव में विविध कार्यक्रम होंगे। मुख्य आकर्षणों में हेरिटेज शोकेस सत्र शामिल हैं, जहाँ देहरादून के स्कूलों और कॉलेजों के युवा कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे और कुशल कारीगरों के नेतृत्व में शिल्प कार्यशालाओं, हेरिटेज क्विज़ प्रतियोगिता, शिल्प ट्रेसर हंटिंग और कई अन्य गतिविधियों में भी भाग लेंगे। विरासत के दौरान दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सत्र भी आयोजित किए जाते हैं।
भव्य मंच भारत के एक अन्य ऐतिहासिक स्थल, कर्कोटा राजवंश के कश्मीरी राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ द्वारा निर्मित सूर्य मंदिर की छवि में बनाया गया हैं। यह कश्मीरी वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है और जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में केहरीबल गाँव के पास एक पठार पर स्थित है।
इस उत्सव में विशिष्ट हथकरघा और शिल्प, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी का काम, धातु शिल्प, चमड़ा शिल्प और विभिन्न राज्यों के कई अन्य स्टॉल होंगे जो इस उत्सव की रौनक बढ़ाएँगे।
इसके अतिरिक्त, एक विंटेज कार और बाइक रैली, एक हेरिटेज क्विज़, एक फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता, और इतिहासकार सोहेल हासमी, आलोचक शैलजा खन्ना, कलाकार जतिन दास, फ़िल्म निर्माता अनुभव सिन्हा और पत्रकार राजेश बादल एवं शशि केसवानी जैसे विशेषज्ञों द्वारा संगीत, फ़िल्म, इतिहास और साहित्य पर वार्ताएँ भी श्रोताओं को समृद्ध और आनंदित करेंगी।
इस कार्यक्रम में पूरे भारत और पड़ोसी देशों की कई लोक और शास्त्रीय कलाएँ प्रदर्शित की जाएँगी, जैसे कि उप्रेती बहनों द्वारा छोलिया और अन्य लोक नृत्य और लोकगीत, उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकनाट्य चक्रव्यूह, गुजरात, गोवा, श्रीलंका, किर्गिस्तान और बेलारूस के लोक संगीत और नृत्य, तमिलनाडु का भरतनाट्यम, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी और कथक। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एक शानदार वाद्य संगीत कार्यक्रम होगा जिसमें हिंदुस्तानी और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत के अलावा ग़ज़ल, सूफ़ी और कर्नाटक संगीत की प्रस्तुतियाँ शामिल होंगी। प्रसिद्ध कलाकार जैसे डॉ.एन.राजम, पं.उल्हास कशालकर, पं.साजन मिश्रा, परवीन सुल्ताना, अश्विनी भिड़े, अनुपमा भागवत, उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन, मनोज तिवारी, उषा उथुप, प्रभाकर और दिवाकर कश्यप, अदनान खान, प्रतीक श्रीवास्तव, अनिरुद्ध ऐथल, सौमित्र ठाकुर, दीपक क्षीरसागर, शिंजिनी कुलकर्णी, ओंकार दादरकर, प्रवीण गोडखिंडी, उस्मान मीर, मंजरी चतुर्वेदी, जवाद अली खान, शाश्वती मंडल, जयतीर्थ मेवुंडी, डेबोरशी भट्टाचार्जी, यदनेश रायकर, अभय सोपोरी, रमना बालचंद्रन, अरुणिमा कुमार, देबोप्रिया और शुचिस्मिता चटर्जी और नयनिका घोष प्रस्तुति देंगे।
मुशायरे में शीन काफ़ निज़ाम, फरहत एहसास, मदन मोहन दानिश, शकील आज़मी, डॉ. नुसरत मेहदी और रश्मि सबा जैसे जाने-माने कवियों की प्रस्तुति होगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रीच के महासचिव आर.के. सिंह, संयुक्त सचिव विजयश्री जोशी, शिल्प निदेशक सुनील वर्मा, संचालन प्रमुख प्रदीप मैथल, मीडिया प्रभारी प्रियंवदा अय्यर और रीच के अन्य प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे।