महंगी मशीनों की जगह सस्ती का उपयोग
सीएसएसडी के लिए दो मशीनें 50 लाख रुपये प्रति की दर से कुल एक करोड़ रुपये में खरीदी जानी थीं, लेकिन निर्माण एजेंसी ने दोनों मशीनों का मात्र 13.90 लाख रुपये का आपूर्ति आदेश जारी किया।
हजारों के कैमरों की जगह लगे सस्ते कैमरे
डीपीआर के अनुसार, अस्पताल परिसर में 61 आधुनिक सीसीटीवी कैमरे 54,553 रुपये प्रति दर से लगाए जाने थे। इसके लिए 33.27 लाख रुपये का प्रावधान किया गया था। लेकिन एजेंसी ने केवल चार हजार रुपये प्रति कीमत वाले कैमरे लगाकर 2.44 लाख रुपये में काम निपटा दिया।
उपकरणों पर भी की गई भारी कटौती
डीपीआर में उपकरण और आइटम की दर में कुल 213.38 लाख रुपये का प्रावधान था। जबकि आपूर्ति आदेश केवल 30.84 लाख रुपये के जारी किए गए। यह राशि 1.82 करोड़ रुपये कम है।
सीएसएसडी में नॉन शेड्यूल्ड आइटम 80 लाख रुपये के लगने थे, लेकिन 14.5 लाख रुपये के ही उपकरण खरीदे गए। अन्य उपकरणों और आइटम की लागत में भी 163.37 लाख रुपये की कटौती की गई।
ऑडिट रिपोर्ट में उठे गंभीर सवाल
ऑडिट दल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि—
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उपकरण और मशीनें अधोमानक गुणवत्ता की हो सकती हैं।
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इससे मरीजों और तीमारदारों की सुरक्षा को खतरा है।
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कॉलेज प्रबंधन ने निर्माण एजेंसी को परोक्ष रूप से लाभ पहुंचाया।
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थर्ड पार्टी जांच और सीएम पोर्टल पर की गई शिकायत से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए।
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बजट और खर्च की पूरी जानकारी भी नहीं दी गई।
कॉलेज प्रबंधन ने बनाई जांच समिति
ऑडिट रिपोर्ट सामने आने के बाद प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने 29 सितंबर को एमएस की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की। समिति से एक सप्ताह के भीतर आख्या मांगी गई।
हालांकि एमएस डॉ. आरएस बिष्ट ने तीन अक्तूबर को प्राचार्य को चिट्ठी लिखकर इससे हाथ खड़े कर दिए और जांच किसी सक्षम एवं जानकार अधिकारी से कराए जाने की सिफारिश की।
विधायक की शिकायत के बाद खुला मामला
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे मामले की शिकायत लैंसडाउन विधायक महंत दिलीप रावत ने सीएम हेल्पलाइन पर की थी। शिकायत के आधार पर ऑडिट टीम ने अगस्त 2025 में जांच की, जिसमें मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, सीसीटीवी कैमरा और सीएसएसडी के लिए तय कीमतों के सापेक्ष कम दरों पर उपकरणों की खरीद और आपूर्ति के तथ्य सामने आए। निर्माण एजेंसी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) द्वारा फर्मों को कम दरों पर आपूर्ति और वर्क ऑर्डर जारी किए गए थे।
जांच निदेशालय स्तर पर जारी
दून मेडिकल अस्पताल की बिल्डिंग के निर्माण में डीपीआर के अनुसार तय दरों से कम कीमत के उपकरण और मशीनें लगाने के मामले में फिलहाल निदेशालय स्तर पर जांच-पड़ताल जारी है। प्राचार्य डॉ. गीता जैन का कहना है कि ऑडिट आपत्तियों का विस्तृत जवाब तैयार किया जा रहा है।












