लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान की ओर से 13 से 18 नवम्बर तक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित “जनजाति भागीदारी उत्सव”में नव अंशिका फाउण्डेशन की ओर से अवधी खानपान का स्टॉल लगाया गया है। इसमें नीशू त्यागी ने बताया कि नव अंशिका व्यंजन ही नहीं महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही है। उनके स्टॉल पर सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है चावल का फराह, गुड़ के पारे, देसी घी के लड्डू, मटर की घुघरी, गट्टे की सब्जी, कढ़ी, चावल की पूड़ी, बंडे की चाट, गुबाल की चाय, शकरकंदी के कचालू। अवधी थाल उनके स्टॉल पर उपलब्ध है।

नीशू त्यागी ने बताया कि लखनवी खानपान को हाल ही में एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। अब यूनेस्को ने लखनऊ को “क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी” अर्थात खानपान की रचनात्मक नगरी घोषित किया है। ऐसे में एक बार फिर युवा पिज्जा, चाऊमीन और मोमोज के बजाए हमारे पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजनों के दीवाने हो रहे हैं। यह बात इसी से पता चलती है कि पहले ही दिन फराह, बंडे की चाट और घुघरी आउट ऑफ स्टॉक हो गई थी। उनके स्टॉल पर पैकिंग की भी सुविधा है। इसके साथ ही इजी टू कैरी इको फ्रेंडली पैकिंग भी की जा रही है। इसलिए बड़ी संख्या में लोग पैकिंग करवाकर भी ले जा रहे हैं जिससे वह अपने परिवारी आत्मीय जनों के साथ अवध के पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठा सकें। उनके स्टॉल के माध्यम से अपवंचित महिलाओं को न केवल पकवान बनाने सिखाए जा रहे हैं बल्कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन और यूपीआई ऑनलाइन पेमेंट की विधियां भी सिखायी जा रही हैं। इसके साथ ही मानकों के अनुरूप हाइजिनिक रूप से कार्य करना भी सिखाया जा रहा है। नीशू त्यागी ने बताया कि स्वयं सहायता समूह के रूप में कार्य करने की इच्छुक महिलाएं दूरभाष 9721700025, 9335222238 और फेसबुक लिंक facebook.com/nishu.tyagi.7792 पर भी संपर्क सकती हैं।












