बीते कल से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की मौत से जुड़ी भ्रामक खबरें तेजी से वायरल हो रही हैं। बिना किसी पुष्टि, प्रमाण या आधिकारिक बयान के फैल रही इन अफवाहों ने राज्य में भ्रम और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।

यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर ऐसी गैर-ज़िम्मेदाराना फेक न्यूज़ चलाई गई हो, लेकिन किसी संवैधानिक पद पर बैठे मंत्री से जुड़ी झूठी खबरें फैलाना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज में अविश्वास फैलाने की साजिश भी माना जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, संबंधित विभाग ने इन वायरल संदेशों को “पूरी तरह फर्जी और दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए लोगों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें। वहीं, साइबर पुलिस भी उन अकाउंट्स की जांच में जुटी है, जिन्होंने यह अफवाह सबसे पहले प्रसारित की।
विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही ऐसी अफवाहें न केवल व्यक्तियों की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं और जनविश्वास को भी कमजोर करती हैं। ऐसे में इन पर कड़ी कार्रवाई और डिजिटल जागरूकता दोनों की आवश्यकता है।
जनप्रतिनिधियों के बारे में झूठी सूचनाएं फैलाना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है, और यह मामला एक बार फिर स्पष्ट करता है कि बिना सत्यापन अफवाहें साझा करना कितना खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना है।









