ब्लैकलिस्टेड कंपनियों पर मेहरबान जीरो टाॅलरेंस के महान
उत्तराखण्ड की निर्माण एंजेसियों को दरकिनार कर हो रही पहाड़ की उपेक्षा
रिपोर्ट- प्रकाश गोपाल सिंह
देहरादून। सरकार के आदेशों को ताक पर रख सिडकुल द्वारा उत्तरप्रदेश निर्माण निगम की ब्लैक्लिस्टेड निर्माण एजेंसियों को काम देने में जो घोटाले सामने आए है, उससे एक बार फिर सरकार और अधिकारियों के बीच गतिरोध सामने आया है। इससे साफ जाहिर होता है कि, मुख्यमंत्री अफसरशाही पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहे है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब सरकार अफसरशाही पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है, इसका खामियाजा स्थानीय जनता को भुगतना पड़ रहा है।
लेकिन अपनी इस नाकामी के लिए मुख्यमंत्री जनता के प्रति जवाबदेह तो है ही, साथ ही जिस कुर्सी को संभालने में वे बार-बार नाकाम साबित हुए उसे उन्हें स्वयं ही छोड़ देना चाहिए। गुरुवार को एक ब्यान जारी करते हुए आप पार्टी के प्रवक्ता रविन्द्र सिंह आनंद ने कहा कि, जिस तरह से एक विभाग द्वारा स्थानीय छोटे ठेकेदारों और एजेंसियों को दरकिनार कर उत्तरप्रदेश की निर्माण एजेंसियों को काम दिया जा रहा है और वह भी ब्लैक्लिस्टेड है। यह स्थानीय एजेंसियों के साथ धोखा है।
आनंद ने यह भी कहा कि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ इससे पहले भी कई बार सामने आया है कि, विभागों की ओर से उत्तरप्रदेश की निर्माण एजेंसियों को काम दिए गए है।जबकि स्थानीय ऐजेंसियो से आवेदन भी लिए गए। यहां पर सवाल यह उठता है कि, क्यों सरकार की ओर से इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई जाती। आनंद ने कहा कि, जहां एक ओेर सरकार जीरो टाॅलरेंस की बात करती है वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम भी कर रही है। यदि सरकार के मुखिया इस पर प्रतिबंध लगानेे में नाकाम है तो उन्हें इस कुर्सी पर बने रहने का कोई हक नहीं है।