रिपोर्ट इन्द्रजीत असवाल
लैंसडौन पौड़ी गढ़वाल
आखिर मंजुली गाँव के इन परिवारों के लिए कहां हैं सरकारी योजनायें !
ये सारी हकीकत घेडी ग्राम सभा के मंजुली गांव की है जहाँ सरकार की योजना उन लोगों तक नहीं पहुच रही जिनको मिलनी चाहिए
हम शुरु करते हैं शेखरा से
शेखरा देवी के घर में लाइट का कनेक्शन नहीं है दोनों पति पत्नी रहते हैं शेखरा देवी के पति को एक हजार रुपये पेंसन मिलती है घर छतिग्रस्त अवस्था में है शायद प्रधान जी व शासन प्रसासन के पास इनके लिए कोई आवास योजना नही है आजकल घर की छत की मरमत हो रही है मिस्त्री व लेबर के लिए खाना व चाय भी पडोसी देते हैं।
बुजुर्ग कुमली देवी व उनके पति भी अकेले रहते हैं। मकान जीर्ण सींर्ण अवस्था में है।उनके पति को एक हजार रुपये पेंसन मिलती है जिससे भोजन ही हो पाता है, फिर मकान की मरमत कैसे करवाये ! एक लड़का है जो अपने बच्चों के साथ जालन्धर में रहता है, वो भी कभी साल छ महीने में घर आकर मा पिता को एक हजार ही दे पाता है, उसकी भी प्राईवेट नौकरी है।
कुसुम देवी के लिए तो भगवान भी रूठ गया था इनके पति की बहुत समय पहले मौत हो चुकी है इनके दो बच्चे हैं लड़की की शादी हो गई है लड़की की शादी कुसुम के जेठ जी ने करवाई कुसुम का कहना है कि उनके बच्चों का लालन पालन उनके भाइयो व जेठ जी ने किया अब एक लड़का जिसने अभी बारह पास किया वो नोकरी की तलाश में निकल चुका है शायद कुसुम भी अपने बेटे को हाई शिक्षा दिलवाती परन्तु परिवार में दो जून की रोटी चलना मुश्किल है तो कैसे पढ़ाये !
मकान भी जीर्ण सींर्ण अवस्था में है।
अब बात है वीर चक्र विजेता ठाकुर सिंह रावत के घर की बहू राजी देवी की राजी देवी के पति लंबी बीमारी के चलते पिछले साल निधन हो गया था।
राजी देवी का कहना है कि उनके पति की मौत के बाद उनके देवर गोपाल रावत ने कहा कि उनके लिए पचास हजार रुपये आ रखे हैं यदि उनको चाहिये तो दस हजार ख़र्चने होंगे परन्तु फिर कुछ समय के बाद उन्होंने कहा कि पैसा वापस चला गया।
राजी देवी का घर भी सही हालत में नही है दो बेटे है दोनों आजकल बेरोजगार है उनके बच्चों का लालन पालन भी राजी देवी ही करती है राजी देवी का कहना है कि उनका पडोसी मदन सिंह भी उनके साथ गाली गलौज करता है।
ऐसे ही हालात अमरदेई देवी की भी है। उनका शोचालय भी नहीं है। बड़ी मुश्किल में पेंसन हुई है। एक बेटा है, जो अभी अभी नौकरी की तलाश में शहर निकला है।