विजय रावत
सेटिंग-गेटिंग से आचार संहिता में हुए स्थानांतरण को वैध ठहराने की बनाई जा रही प्लानिंग
देहरादून। वर्ष 2016-17 में हरीश रावत सरकार के कार्यकाल खत्म होने और विधानसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान 450 शिक्षकों के किए गए ताबादलों को बाद में निरस्त कर दिया गया था, किंतु उसके बाद मूल स्कूलों में तैनाती देने के निर्देश के बावजूद इन शिक्षकों ने फिर से मूल स्कूलों में तैनाती नहीं दी और सेटिंग करके विभागीय आदेशों की धज्जियां उड़ाते रहे। खबर है कि इस मामले के निस्तारण को लेकर सभी ४५० शिक्षक दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं, जहां वे मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक से मिलेंगे और उनकी आचार संहिता के दौरान हुआ ट्रासंफर को वैध कराने का दबाव बनाएंगे।
इस संदर्भ में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने भी पिछले दिनों शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली थी। उन्होंने स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात को तार्किक बनाने के लिए सभी ब्लाकों से आंकड़े मांगे हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न विभागों और डायट में कार्यरत अध्यापकों को मूल पदों पर वापस भेजा जायेगा। यह सुझाव भी दिया गया कि प्राइवेट स्कूल अब पब्लिक शब्द का प्रयोग नहीं कर पाएंगे।
शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने समीक्षा बैठक में कहा कि 2016 में हरीश रावत सरकार के दौरान 450 शिक्षकों के ताबादले जो पहले निरस्त कर दिए गए थे। उसके बाद मूल स्कलों में तैनाती न देने को लेकर फिर से मूल स्कूलों में जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। बीआरसी-सीआरसी के पदों पर जिन शिक्षकों को मुख्य सचिव ने रिलीव नहीं किये, उनको रिलीव करने के निर्देश भी दिए हैं।
शिक्षा मंत्री ने ऐसे मुख्य शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं, जिन्होंने बीआरसी-सीआरसी को रिलीव नहीं किया। साथ ही कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उत्तराखंड अपनी विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के संदर्भ में सुझाव देगी। यह सुझाव हिमालयी राज्य के सन्दर्भ में होंगे।
उन्होंने कहा प्रदेश के 13 नवोदय विद्यालयों को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित किया जायेगा, इस सन्दर्भ में सात अगस्त को बैठक होगी। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उत्तराखंड राज्य के सुझाव में छात्रों की क्षमता के विकास पर बल देते हुए कहा गया कि छात्रों के मानसिक एवं भौतिक विकास पर ध्यान दिया जाए।
व्यवसायिक शिक्षा लेकर सुझाव दिया गया कि स्थानीय स्तर पर शिल्प कलाकारों को व्यवसायिक शिक्षा के लिए मानदेय पर आमंत्रित किया जाए।नैतिक शिक्षा, ज्ञान-योग पर बल देते हुए स्थानीय प्रेरक प्रसंगों पर भी फोकस रखा जाय। 5 किलोमीटर के भीतर स्कूल कांप्लेक्स हो जिसमें प्राथमिक, माध्यमिक एवं आई.टी.आई. विद्यालय हों। स्कूल कैंपस में प्रिंसिपल एवं अध्यापक के आवास का भी प्रबन्ध होगा।
बहरहाल देखना यह होगा कि आचार संहिता के दौरान हुए स्थानांतरण को यह शिक्षक वैध करवाने में सफल हो पाते हैं या फिर इन्हें दिल्ली से यह कहकर वापस भेज दिया जाता है कि पहाड़ों में जिन जगहों से आपका स्थानांतरण मैदानी क्षेत्रों में किया गया है, आप अपने मूल तैनाती स्थलों में योगदान दें। अगर इन शिक्षकों को मूल तैनाती स्थलों में भेज दिया जाता है तो जाहिर है कि शिक्षकों की समस्या से जूझ रहे पहाड़ों के बच्चों को निश्चित तौर पर इसका लाभ मिलेगा।