महापौर के करीबी भाजपा नेता का करोड़ो की जमीन पर अवैध कब्जा
रिपोर्ट- अश्वनी सक्सेना
रुद्रपुर। सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ भाजपा नेता द्वारा रुद्रपुर के शैलजा फार्म में करोड़ों की भूमि पर कब्जा कर बंदरबांट की जा रही है। रुद्रपुर गंगापुर रोड पर तत्कालीन नगर पालिका की लगभग दस एकड़ भूमि शैलजा फार्म के नाम से तीस वर्ष के लिए लीज पर कृषि कार्य हेतु दी गई थी। जिसकी लीज वर्ष 2015 में समाप्त हो गई तथा सरकार द्वारा लीज का नवीनीकरण भी नहीं किया गया और लीज समाप्त हो गयी। लेकिन उक्त भूमि की बंदरबांट सता धारी दल के कुछ नेताओं द्वारा शुरू हो गई।
जानकारी के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा उक्त भूमि के संबंध में नगर निगम रूद्रपुर से आरटीआई द्वारा मांगी गई सूचना के अनुसार अतिक्रमण कारी विकास शर्मा एवं भाजपा के नगर उपाध्यक्ष रोशन अरोड़ा सहित अन्य लोगों को नगर निगम द्वारा 24 अप्रैल 2021 को नोटिस देकर उक्त भूमि से 3 दिवस में स्वयं अतिक्रमण हटा कर निगम को अवगत कराने हेतु कहा गया था, किंतु आज तक अतिक्रमणकारियों द्वारा न तो अतिक्रमण हटाया गया और न ही निगम द्वारा उक्त अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया।
जबकि नोटिस में स्पष्ट लिखा है कि, 3 दिवस के बाद निगम द्वारा उक्त भूमि से कब्जा हटा दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार विकास शर्मा एवं रोशन अरोरा सत्ताधारी दल के साथ ही विकास शर्मा वर्तमान मेयर के बहुत करीबी हैं। अक्सर मेयर के साथ हर कार्यक्रम में दिखाई भी देते हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर निगम रुद्रपुर के मेयर के द्वारा अपने वाहन के चालक को भी अवैध रूप से उक्त स्थल पर आवासीय भवन/तीन शेड बनाकर परिवार सहित निवास करवा रहे है, जबकि मौके पर वाहन चालक संबंधित स्थल पर आवास बनाकर परिवार सहित निवास भी कर रहा है। जिसके प्रमाण हमारे सुरक्षित हैं।
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि, संबंधित भूमि की बंदरबांट में मेयर महोदय की मौखिक स्वीकृति है। यहां आपको बता दें कि, संबंधित भूमि को नगर निगम द्वारा विगत वर्षों से स्थानीय लोगों को हरा चारा, मक्का बोने के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाकर एक वर्ष के लिए दिया जाता था। जिसमें नगर नगर निगम को अतिरिक्त आय प्राप्त होती थी, परंतु इस समय उक्त उपजाऊ भूमि पर कचरे के वेस्ट/मिट्टी को उक्त स्थान पर डालकर पाटने का प्रयास किया जा रहा है।आश्चर्यजनक है कि, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व से निर्मित बंद किए गए तालाबों को खुलवाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर नगर निगम रूद्रपुर द्वारा उक्त भूमि पर लगभग 900 से 1000 मीटर में प्राचीन समय से निर्मित कुंड तालाब को उक्त वेस्ट डालकर पाटने का प्रयास किया जारी है। शेष भूमि पर भी वेस्ट डाल कर उपजाऊ भूमि को नष्ट किया जा रहा है, जबकि वेस्ट किसी प्रकार की अनुपयोगी भूमि पर डाला जा सकता था।
यहां सोचनीय विषय है कि, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने हेतु भगवान का भी सहारा लिया जा रहा है। जानकारी में आया है कि, अतिक्रमणकारियों द्वारा पहले उक्त स्थल पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण किया गया, फिर कुछ समय पश्चात उक्त मंदिर को हटाकर गोदाम तैयार किया जा रहा है। जो एकर्मन कि श्रेणी लाल निशान से चिन्हित है। पुनः मंदिर की आड़ में आगे की ओर जगह घेर कर नया मंदिर बना लिया गया।
जबकि मा० सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अंतर्गत सरकारी भूमि पर कोई भी धार्मिक स्थल पूर्व से निर्मित है तो ध्वस्त कर दिया जाए। इसी आदेश के अंतर्गत जिले में कई स्थानों पर मंदिर तोड़े गए हैं। किंतु नगर निगम रूद्रपुर द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करते हुए सरकारी भूमि पर मंदिर निर्माण करा दिया गया। साथ ही अंदर खाने इस भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है ।
किन्तु नोटिस के बाद भी निगम ने कोई कार्यवाही नहीं की, जिससे निगम की मिली भगत भी इसमें सिद्ध होती है। बताना जरूरी होगा कि, कुछ माह पूर्व तहसीलदार प्रशासन और नगर निगम की संयुक्त टीम द्वारा इस भूमि का चिन्हिकरण किया गया था, जिसमें किए गए अतिक्रमण पर लाल निशान लगाकर मार्क भी किया गया था, जो कि ध्वस्त होना था। परंतु मेयर के नजदीकी लोगों द्वारा जो अतिक्रमण किया गया है उस पर आज तक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही न होना नगर आयुक्त की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
क्या सत्ताधारी पार्टी के होने का मतलब यह है कि, उन पर जमीन अतिक्रमण को लेकर कोई कार्यवाही नहीं होगी? जहां वर्तमान सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है, वहीं उन्ही की पार्टी के लोगों द्वारा इस जीरो टॉलरेंस की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि, क्या इस में सत्ताधारी नेताओं के खिलाफ पार्टी भी कोई कार्यवाही करती है और चिन्हित किए गए अतिक्रमण को क्या नगर निगम द्वारा ध्वस्त किया जाएगा। क्योंकि अभी इस मामले में कई पर्ते खुलना बाकी है।