प्रेरकों का दर्द। आगामी चुनाव में हार-जीत के बीच खड़े हैं शिक्षा प्रेरक
रिपोर्ट- सूरज लड़वाल
चम्पावत। जिले सहित समूचे राज्य के करीब 5,500 शिक्षा प्रेरक लम्बे समय से लगातार सरकार के सम्मुख अपनी बात रख रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से हर बार शिक्षा प्रेरकों को झूठा दिलासा दिया जा रहा है। लेकिन इस बार शिक्षा प्रेरक सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं।
बताते चलें कि, वर्ष 2009 से असाक्षरों को साक्षर करने का कार्य कर रहे शिक्षा प्रेरकों को सरकार ने वर्ष 2017 में नौकरी से हटा दिया था। जिसके बाद लाखों असाक्षरों को साक्षर करने का कार्य कर रहे शिक्षा प्रेरक बेरोजगार हो गए।
शिक्षा प्रेरक संगठन के महासचिव संजय चौड़ाकोटी का कहना है कि, तमाम बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन दिया गया, लेकिन हर बार झूठी उम्मीदों और झूठे दिलासों के सिवा उन्हें कुछ भी नहीं मिल पाया।
एक बार फिर शिक्षा प्रेरकों ने धनौल्टी के विधायक प्रीतम सिंह पंवार को ज्ञापन सौंपा है और आर-पार की लड़ाई की बात कही है। बताते चलें कि, तमाम बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन मुख्यमंत्री धामी को प्रेरकों का दर्द समझ नहीं आया।
करीब 5,500 शिक्षा प्रेरकों के संगठन महासचिव चम्पावत निवासी संजय चौड़ाकोटी का कहना है कि, आगामी चुनाव के बीच शिक्षा प्रेरक हार-जीत तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
संजय चौड़ाकोटी का कहना है कि, अगर शिक्षा प्रेरकों की पहली माँग किसी भी सरकारी विभाग में योग्यता के आधार पर समायोजन और दूसरी माँग उपनल के माध्यम से समायोजन की बात को सरकार नहीं मानती है, तो आगामी विधानसभा चुनाव में धामी को हामी नहीं भरने देंगे।
असाक्षरों को किया साक्षर अब करेंगे राजनीति
प्रेरकों का कहना है कि, उन्होंने वर्ष 2009 से 2017 तक लगातार आठ वर्ष तक गाँव-गाँव जाकर असाक्षरों को साक्षर किया। जिससे उत्तराखंड की साक्षरता दर में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई थी। लेकिन सरकार ने शिक्षा प्रेरकों को सम्मानित करने के बजाय नौकरी से ही हटा दिया।
लेकिन अब शिक्षा प्रेरक आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं और उनकी माँगों पर शीघ्र अमल न किए जाने पर अब गाँव-गाँव जाकर असाक्षरों को अक्षरज्ञान कराने वाले शिक्षा प्रेरक आगामी चुनाव में तय करेंगे कि, किसके पक्ष में वोट करना है और किस पार्टी के लिए चुनावी माहौल तैयार करना है।