बेरोजगारी की नयी मिशाल बनता उत्तराखंड।
रिपोर्ट-विजय रावत
मोदी-मोदी जपते जपते भले ही उत्तराखंड में भाजपा विधानसभा और लोकसभा में बाजी मार गयी हो मगर उत्तराखंड की सरकार को यंहा के युवाओं का दर्द नज़र नही आया। डबल इंजन की बात करने वाली सरकार का आलम यह है कि पोड़ी जिले में 191 होमगार्ड की भर्ती के लिए यंहा कई हज़ार युवा आवेदन देने पहुंच गए। इस भर्ती में पोस्ट ग्रेजुएट, बीटेक एमटेक वाले कई युवा बेरोजगार साथी आये।
त्रिवेन्द्र सरकार भले ही अपनी केंद्र की योजनाएं गिनवाते नही थकती मगर अपने उत्तराखंड के युवाओं की हालत उन्हें दूर तक नज़र नही आती । जब प्रदेश का युवा ही बेरोज़गार होगा तो किस काम की ये योजनाएं। आज उत्तराखंड का युवा रोजगार के लिए दर-दर भटक रहा है मगर त्रिवेन्द्र सरकार को उन्हें देने के लिए कोई व्यवसाय ही नही । हालत यह है कि भाजपा का पकोड़े वाला जुमला अब उत्तराखंड में साक्षात नज़र आने लगा है। रोजगार के नाम पर ये सरकार युवाओ को पहले भी कई बार ठग चुकी है। इस से पहले 2016 में कांग्रेस सरकार के समय वन विभाग में 1218 पद आयोग द्वारा निकाले गए थे जिसमें शैक्षिक योग्यता इंटर साइंस रखी गई थी इसमें बेरोजगार युवाओं द्वारा लगभग 35000 फार्म आयोग को प्राप्त हुए लेकिन कला वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा इसमें संशोधन हेतु सरकार से मांग की गई वे 2017 में भर्ती में संशोधन कर कला वर्ग को भी इस भर्ती में शामिल कर लिया गया वह फिर से आयोग द्वारा आवेदन मांगे गए लगभग 180000 फॉर्म आयोग को प्राप्त हुए 3 साल पूरे होने को है अभी तक भर्ती का कोई भी चरण पूरा नहीं हो पाया है चाहे वह शारीरिक परीक्षा हो या लिखित परीक्षा हो।
राज्य सरकार द्वारा बेरोजगार युवाओं को लगातार भ्रमित किया जा रहा है समाचार पत्रों के माध्यम से कभी पुलिस भर्ती कभी लेखपाल भर्ती ,पटवारी भर्ती ,पंचायती राज विभाग में भर्ती 2018 से लगातार प्रकाशित हो रही है लेकिन भर्तियां का कहीं अता पता नहीं है
राज्य स्थापना के समय से अब तक का बेरोजगारी का आंकड़ा आसमान छू रहा है बेरोजगारी का आलम राज्य में यह है कि वर्तमान में चल रही है होमगार्ड भर्ती प्रक्रिया में बीटेक पास स्नातक परास्नातक पास अभ्यर्थी होमगार्ड का फॉर्म भरने को विवश है।
युवा कई बार रोजगार को लेकर सड़को पे उतर चुकी है मगर इस सरकार को जीतने के बाद न ही उत्तराखंड के लोगों का दर्द दिखाई देता है और न ही सुनाई देता है।
मगर त्रिवेंद्र सरकार ने अपने विधायकों और पूर्व मुख्यमंत्रियो की बेरोजगारी जरूर नजर आयी जो विधायकों की तनख्वाह डेड गुना बड़ा दी और कोर्ट से हारने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को बहाल रखने के लिए अध्यदेश जारी कर दिया है।
आखिर लाये भी क्यों न सीएम साहब को भी तो पूर्व होना ही है।
मगर सीएम साहब ये भूल गए जिन उत्तराखंड के युवाओं ने उन्हें अर्श में पहुँचाया है वो कब फर्श में पहुँचा दे और सीएम साहब को पता भी न चले।
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