देहरादून- उत्तराखण्ड विधानसभा चुनावों की तारीख जैसे- जैसे नजदीक आ रही है, वैसे वैसे ही सभी राजनैतिक दल अपनी- अपनी बिसात बिछाने लगे हुए हैं। कुमाऊं क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नजरें टिकी हुई हैं। प्रदेश की व्यापारिक हब कहें जानी वाली हल्द्वानी सीट हॉट सीट बन कर उभरी है। कांग्रेस की कद्दावर नेता रही इंदिरा हृयदेश के निधन के बाद खाली हुई हल्द्वानी विधानसभा पर भाजपा की नजरें हैं। अभी तक कांग्रेस का गढ़ कहे जानी वाली हल्द्वानी विधानसभा सीट पर बीजेपी जीत का मौका तलाश रही है।
कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने जताई दावेदारी
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं इंदिरा हृयदेश के निधन के बाद खाली हुई हल्द्वानी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता दीपक बल्यूटिया और सुमित हृयदेश एवं ललित जोशी ने अपनी दावेदारी जताई। सुमित हृयदेश हल्द्वानी को अपनी पारम्परिक सीट के तौर पर देख रहे थे। वहीं उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के परिवार से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने हल्द्वानी विधानसभा पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर चुके हैं। जिससे सर्दी के इस मौसम में भी हल्द्वानी का राजनैतिक पारा गर्म हो चुका है।
सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे दीपक बल्यूटिया
दीपक बल्यूटिया कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी की राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। दीपक बल्यूटिया 1990 के दशक से सक्रिय राजनीति में हैं 1993 में वह नैनीताल यूथ कांग्रेस के जिला सचिव के पद पर कार्य कर चुके हैं तो वहीं 1999 में वह नैनीताल यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पद भी रह चुके हैं फिलहाल दीपक बल्यूटिया उत्तराखण्ड कांग्रेस के प्रवक्ता और कुमाऊं क्षेत्र के मीडिया प्रभारी हैं । उन्होंने राजनीति का ककहरा स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी से सीखा है। दीपक बल्यूटिया पेशे से शिक्षाविद् हैं। राजनैतिक तौर पर लम्बे समय से सक्रिय बल्यूटिया विधानसभा चुनावों में अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं । हल्द्वानी की चुनावी राजनीति में वो भरोसेमंद और विश्वनीय चेहरे के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। दीपक ने कोरोना काल में हजारों जरूरतमंद लोगों को राशन वितरित किया था। इसके बाद उन्होंने हाल ही हल्द्वानी नगर की सभी आशा कार्यकत्रियों व आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों कोरोना योद्धा सम्मान देकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया है। इसके अलावा दमुवाढूंगा क्षेत्र के लोगों के मालिकाना हक के लिए सड़क से लेकर हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ रहे हैं। बनभूलपुरा में रेलवे भूमि मामले में विवादित जमीन पर निवास करने वाले लोगों के पुनर्वास की लड़ाई दीपक बल्यूटिया हाईकोर्ट में लड़ रहे हैं। दशकों से बगैर निपटारे के पड़े हुए इन मामलों में दीपक बल्यूटिया ने जिस तरह आगे बढ़कर यह लड़ाई लड़ी है उससे हल्द्वानी की जनता में उनकी अच्छी पैठ बन गई है। दीपक परिवर्तन यात्रा में विशाल रैली निकालकर पार्टी को अपनी ताकत दिखा चुके हैं। स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी जी के जन्म दिवस पर भी बारिश के बावजूद विशाल जनसभा का आयोजन दीपक बल्यूटिया ने किया जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शिरकत की। कार्यक्रम के आयोजन से पूर्व मुख्यमंत्री खुश नजर आए और जाते जाते दीपक बल्यूटिया की पीठ थपथपा गए।
हल्द्वानी विधानसभा सीट से कांग्रेस के दूसरे दावेदार सुमित हृयदेश की राह आसान नजर नहीं आ रही है। हल्द्वानी सीट पर उनकी दावेदारी को लोग परिवारवाद से भी जोड़ कर देख रहे हैं। स्थानीय कांग्रेस के कई नेता पर्यवेक्षकों के सामने भी इस बात को उठा चुके हैं। सुमित हृयदेश अपनी मां स्वर्गीय इंदिरा हृयदेश के विधायक रहते हुए 2018 में मेयर का चुनाव भी नहीं जीत पाए थे। सुमित हृयदेश पर पहले ही हल्द्वानी मेयर चुनावों में हार का ठप्पा लग चुका है। ऐसे में प्रदेश नेतृत्व के लिए सुमित पर विधानसभा चुनावों में दांव लगाना जोखिम भरा फैसला हो सकता है।वहीं राज्य आंदोलनकारी रहे ललित जोशी युवाओं में लोकप्रिय बताए जाते हैं वह विधानसभा चुनावों अपने दावेदारी को पुख्ता करने में लगे हुए हैं। ललित जोशी हल्द्वानी कांग्रेस में वह एक ऐसे नेता के तौर पर जाने जाते हैं जो परिवार वाद के खिलाफ खुल कर बोलते रहे हैं। ललित 2018 में मेयर के पद पर भी अपनी दावेदारी जता चुके हैं लेकिन स्वर्गीय इंदिरा के प्रभाव के चलते 2018 में मेयर का चुनाव उनके बेटे सुमित हृयदेश ने लड़ा था। ऐसे में कांग्रेस पार्टी किस पर दांव लगाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।