सूत्रों की माने तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की लगातार नेगेटिव रिपोर्ट हाईकमान में जाने से उनकी कुर्सी में दमाडोल की स्तिति बनी हुई है।
अभी हाल ही त्रिवेन्द्र रावत के परिवार के भ्रष्टाचार के स्टिंग वीड़ियो पूरे देश में वायरल हुवे है , उक्त के साथ-साथ प्रदेश के सैकड़ों करोड़ का NHRM, NH-74, आपदा, शराब, छात्रवृत्ति ,ढेंचा आदि तमाम घोटाले, जिनमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री की संलिप्तता जताई जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पे CBI जांच के चलते ,मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र पर भी जांच की मांग उठाई जा रही है।
शिक्षिका उत्तरापन्त बहुगुणा प्रकरण से जिस प्रकार की अहंकारी छवि सूबे की मुख्यमंत्री की बनी और उसके बाद एक गढ़वाली गाना (झांपु) जो त्रिवेंद्र के ऊपर गया गया था उस से उनकी छवि पूरी तरह से धूमिल हुई।
हाईकमान में यह प्रकरण सामने आने के बाद ही CM की कुर्सी को लेकर चर्चाएं होने लगी थी मगर अमित शाह के करीबी और संघ से जुड़े होने के कारण त्रिवेंद्र को राहत मिली।
मगर लगातार अपने उल-जलूल बिना तर्क के बयान बाज़ी से सेंटर में उनकी नेगेटिव रिपोर्ट जाती रही।
त्रिवेंद्र की नेगेटिव छवि को विपक्ष ने भी खूब भुनाया , गाय को ऑक्सीजन छोड़ने की बयानबाजी का खूब मजाक बनाया गया
मुख्यमंत्री की छवि के चलते एक बार फिरसे हाईकमान में उनकी कुर्सी को लेकर विचार-विमर्श हो रहा है, हाईकमान को लगने लगा है कि उनकी यह छवि पार्टी के लिए अहितकर हो सकती है
पर अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर मुख्यमंत्री बदला जाए तो उनके बदले जिम्मेदारी आखिर किसे दी जाए, उत्तराखंड BJP में पहले ही कुर्सी को लेकर अंदरखाने खूब लड़ाई है। सूत्रों की माने तो हाईकमान अगर कुर्सी बदलने का फैसला करती है तो इस बार नए चेहरे के कंधे पर ये जिम्मेदारी डाली जाएगी।