हस्तक्षेप आपके लिए एक ऐसी महिला की कहानी लेके आया है जो कभी आलीशान सरकारी गाड़ियों में घुमा करती थी कभी बड़े-बड़े अधिकारी ,कर्मचारी मैम कहकर संबोधित करते थे।मगर आज वो महिला मजदूरी करने को तैयार है कहते हैं समय बड़ा बलवान होता है, यह रंक को कब राजा बना दे और राजा को रंक कोई नहीं जानता कहानी मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की एक आदिवासी महिला की है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के पास अब रहने को घर तक नहीं है, जिसकी वजह से वह एक कच्ची टपरी में रहकर अपने बच्चों का भरण-पोषण कर रही है.
कभी लाल बत्ती कार में घूमती थीं और शासन की ओर से उन्हें राज्य मंत्री का भी दर्जा भी प्राप्त था, लेकिन आज जूली गुमनामी के अंधेरे में जिले की बदरवास जनपद पंचायत के ग्राम रामपुरी की लुहारपुरा बस्ती में रहकर बकरी चराने का काम कर रही है
वर्ष 2005 में पूर्व विधायक और जिले के कद्दावर नेता रामसिंह यादव ने जूली को जिला पंचायत सदस्य बनाया और फिर क्षेत्र के एक अन्य पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने जूली को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाया. जूली इन दिनों गांव की 50 से अधिक बकरियों को चराने का काम कर रही हैं और उनके अनुसार उन्हें प्रति बकरी 50 रुपए प्रतिमाह की आय होती है.
जूली का कहना है कि मजदूरी के लिए गुजरात सहित अन्य प्रदेशों में भी जाना पड़ता है. गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली जूली का कहती कि उन्होंने रहने के लिए इंदिरा आवास कुटीर की मांग की थी, जो उसे स्वीकृत तो हुई लेकिन मिली नहीं, इस कारण वह एक कच्ची टपरिया में रहने को मजबूर हैं। यह कहानी जीवन की सत्यता से रूबरू कराती है और यह बताती है कि समय कभी किसी का नही हुआ।