Report-vijay rawat
पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ शिक्षकों अभाव है वहीँ कुछ प्रबंधकीय विद्यालयों में प्रबंधक कमेटी के लोग बड़े ही शातिराना तरीके से भ्र्ष्टाचार को अंजाम दे रहे है ,जिससे पहाड़ में बच्चों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ भी हो रहा है, ताजा मामला जय किसान इंटर कालेज रौढधार के दो शिक्षकों के तबादले का है जो स्कूल प्रबंधन की मिली भगत से शहरों में स्थानांतरण कर दिया गया । वर्ष 1967-68 में टिहरी गढ़वाल के रौढधार में एक विद्यालय की स्थापना की गयी जो कि तब केवल हाई स्कूल था ।
वक्त के साथ विद्यालय ने प्रगति की व इंटरमीडिएट की मान्यता मिली । लेकिन विद्यालय के स्थापक व पूर्व प्रधानाचार्य श्री सुंदर सिंह डोटियाल जी के सेवानिवृत्ति के बाद यह विद्यालय कुछ लोगों के लिए भ्रष्टाचार व राजनीति का अखाड़ा बन गया । कुछ वर्ष पूर्व यहाँ कुछ अध्यापकों क़ा चयन चर्चा क़ा विषय बना था जिससे कि प्रबन्धन समिति व चयन समिति पर भ्रष्टाचार के आरोप जनता द्वारा लगाये गए। आजकल यह विद्यालय सोशल मीडिया में पुनः चर्चा क़ा विषय बना हुआ है । दरसल यहाँ से दो शिक्षकों का तबादला नियमों को ताक पर रख कर प्रबंधक समिति द्वारा शहरों में कर दिया गया है। अब प्रश्न आता है कि क्यूँ कर दिया गया ? तो जब स्थानीय लोगों द्वारा विद्यालय प्रबंधक गुड्डा सिंह कठैत व अध्यक्ष मनोज बागड़ी से इसकी जानकारी मांगी गयी उन्होने इस विषय में कोई भी जानकारी होने से मना कर दिया । जबकि नियमों के तहत कोई भी स्थानान्तरण विद्यालय प्रबंधक समिति की लिखित संस्तुति पर शिक्षा निदेशक द्वारा किया जाता है । जब प्रबन्धन समिति के अन्य सदस्यों को प्रबंधक व अध्यक्ष की इस करनी की जानकरी लगी तो उन्होने सामूहिक त्यागपत्र दे दिया। एक स्थानीय निवासी उत्तम सिंह द्वारा सूचना के अधिकार में इस विषय में जानकारी मांगी गयी तो विद्यालय द्वारा चौकाने वाले जवाब दिए गए कि विद्यालय के पास इस स्थानान्तरण से संबन्धित कोई भी पत्रावली नहीँ है जब कोई भी पत्रावली नहीँ है तो प्रधानाचार्य द्वारा कैसे अपने सहायक अध्यापक को रिलीव कर दिया ? व कैसे दूसरी जगह उनको ज्वाइनिंग मिल गयी ?
जब इस विषय मे प्रबंधन विद्यालय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऊपरी दवाब से उन्हें ये सब करना पड़ता है अब सवाल यह है कि ये ऊपरी दवाब कैसे और क्यो पड़ता है। पूर्व में भी इस प्रकार के मामले हो चुके हो और विभाग्य जांच से कार्यवाही भी हो चुकी है।
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