सरकार की गाइडलाइन की खूब धज्जियां उड़ा रहे प्रशासन के आलाधिकारी
कोटद्वार। जहां पूरा देश कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगा कर घूम रहा है। भारत सरकार सभी से सेनेटाइजर व मास्क को प्रयोग में लाने की बात कर रही है, वहीं कोटद्वार के नगर आयुक्त एवं उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा बिना मास्क लगाए क्षेत्र में घूम रहे है। वैसे तो इनका विवादों से पुराना नाता रहा है। हास्यास्पद है कि, बात चाहे सैनिटाइजिंग लिक्विड घोटाले की हो या सैनिटाइजिंग मशीन की इन्होंने घोटाले में लिप्त अधिकारी को ही घोटाले जांच सौंप दी। अब भला घोटालेबाज स्वयं को कैसे आरोपी सिद्ध करेगा ये सोचनीय विषय है।
इसी क्रम में बताते चले कि, बीते बुधवार जब SSP पौड़ी कोटद्वार की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे हुए थे, जहां उन्होंने कोटद्वार थाने में पुलिस की बैठक ली और उसके बाद वह कौड़िया चौकी के निरीक्षण के लिए चल दिये। उनके साथ SDM कोटद्वार योगेश मेहरा भी मौजूद थे। वहीं देखा गया कि, उपजिलाधिकारी महोदय ने सार्वजनिक स्थान पर मास्क लगाना जरूरी नहीं समझा। अब इसे उनका घमंड कहें या फिर गुरुर!
क्योंकि आलाधिकारियों की मौजूदगी में इस तरह का अपराध करना आश्चर्यजनक है। एक तरह से आलाधिकारियों की मौजूदगी में भारत सरकार की गाइडलाइन की उपजिलाधिकारी साफ तौर पर धज्जियां उड़ाते नजर आए। फिलहाल पौड़ी जिले के आलाधिकारियों इस कृत्य पर चुप्पी साधे बैठे है। अब एक बड़ा सवाल यह भी है कि, क्या भारत सरकार की यह गाइडलाइन सिर्फ आम आदमी पर लागू होती है? क्योंकि जब गाइडलाइन पालन करवाने वाले खुद ही उलंघन करेंगे तो ऐसे में आम जनता क्या करेगी?
जब हमें तो पहले दे दो पास, सोशल डिस्ट्रेनसिंग गई भाड़ में
दूसरी ओर देहरादून उपजिलाधिकारी सदर के कार्यालय में भी साफ तौर पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती नजर आयी। बात आज सुबह गुरुवार की है, जब दुकानदार व अन्य लोगों पास बनवाने की होड़ में सोशल डिस्टेनसिंग के नियमों को भूल गए और अपने व दूसरों की जान के साथ खेलने के लिये होड़ करते नजर आये। साथ ही पुलिस कर्मियों की सी सुनने को तैयार नही हुए।
तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि, किस तरह से आम जनता एक दूसरे से सटक कर खड़ी है। जिन्हें अलग करने वाला या नियमो का पालन करवाने वाला कोई आलाधिकारी वहां मौजूद नजर नहीं आया। जिसे देख साफ कहा जा सकता है कि लॉकडाउन में छूट का पास बनाने वाले अधिकारी भी यही चाहते है कि, जल्दी काम निपटाकर फुरसत से बैठा जाए। यानी कि पहले आओ-पहले पाओ वाली नीति अपनाई जा रही है।