CM पुष्कर सिंह धामी किस सीट से उपचुनाव लड़ेंगे, अभी खुलासा नहीं किया गया है लेकिन हकीकत ये है कि उनके लिए तमाम विधायक चारों तरफ सीट खाली होने के लिए तैयार हैं। BJP ही नहीं बल्कि Congress के भी विधायक उनके लिए सीट कुर्बान करने का ऐलान कर रहे। या फिर अंदरखाने उनके संपर्क में हैं। इतना तय है कि पुष्कर हाई कमान की मुहर लगवाने के बाद ही अपनी सीट का ऐलान करेंगे।
उपचुनाव जीतना पुष्कर के लिए बाएँ हाथ का खेल माना जा रहा है। 5 साल के CM होने के साथ ही PM नरेंद्र मोदी और उनके नंबर-2 गृह मंत्री अमित शाह का वरदहस्त उन पर है। ऐसे में वह जिस से सीट से भी लड़ेंगे, काँग्रेस के पास उनके खिलाफ खड़े करने के लिए प्रत्याशी तक नहीं होंगे।
आम तौर पर कोई भी विधायक 5 साल की विधायकी छोड़ने को राजी नहीं होता। ऐसे में काँग्रेस और बीजेपी के विधायकों की पुष्कर के लिए सीट छोड़ने की पेशकश उनकी प्रभुसत्ता और आभा मण्डल को साबित करता है। सच तो ये है कि मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़ने की होड़ लगी हुई है। ऐसा नजारा आज तक उत्तराखंड की सियासत में नहीं दिखा।
BC खंडूड़ी को जब सीएम रहते उपचुनाव लड़ना था तो उनके सामने सीट खाली न होने और लड़ने की गंभीर चुनौती थी। उनकी तकदीर तब खुली जब काँग्रेस के विधायक लेफ्टिनेंट जनरल (रि) तेजपाल सिंह रावत ने अचानक धुमाकोट की विधायकी और पार्टी छोड़ सभी को चौंकाते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी के विधायक उनके लिए सीट छोड़ने को ऐंठ गए थे।
पुष्कर के पास चंपावत के कैलाश गहतोड़ी-रुद्रप्रयाग के भरत चौधरी और काँग्रेस के भी हरीश धामी तक की तरफ से अपनी सीट से लड़ने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही कुछ और सीटें काँग्रेस और बीजेपी की और हैं। इनका खुलासा भी जल्द हो जाएगा। इस सबके बीच शोर इस पर है कि खुद मुख्यमंत्री की इच्छा देहरादून की सबसे सुरक्षित कैंट सीट से लड़ने की है। बीजेपी की ही सविता कपूर यहाँ विधायक हैं। उपचुनाव के नजरिए से ये CM के लिए बहुत मुफीद मानी जा रही।
CM खुद इसी विधानसभा क्षेत्र में 22 सालों से (यमुना कॉलोनी में सरकारी क्वार्टर आवंटित है) रह रहे हैं। इस सीट पर चुनाव संचालित करना भी बहुत आसान और सुविधाजनक है। काँग्रेस के पास यहाँ प्रत्याशी ही नहीं है। उपचुनाव के लिए इससे आदर्श सूरते हाल और कहीं शायद ही उपलब्ध हो। माना जा रहा है कि बहुत जल्द पुष्कर उपचुनाव के लिए सीट का ऐलान करने वाले हैं। संभावित और उपलब्ध सीटों के बारे में आला कमान से मुख्यमंत्री लगातार राय मशविरा कर रहे।
मोदी-शाह-नड्डा की हामी भरवाने के बाद ही पुष्कर उपचुनाव की खातिर सीट को ले के तस्वीर साफ करेंगे। काँग्रेस में मौजूद विरोधियों ने उनके सामने हथियार डाले भले नहीं लेकिन टीम करण माहरा (PCC President) उनके लिए फिलहाल कोई खतरा या कड़ी चुनौती बन सकती है, इस पर संदेह के काले और गहरे बादल मंडराए हुए हैं।
पुष्कर के लिए अब पार्टी में मौजूद वे जयचंद-मीर जाफ़र-विभीषण भी खतरा नहीं दिख रहे, जिन्होंने उनको खटीमा के आम चुनाव में शिकस्त से दो-चार कराया था। सच तो ये है कि घर में रह के विरोधी का फर्ज अदा कर रहे पार्टी के कुछ प्रदेश स्तर के नेता भी खामोशी के साथ अपनी नौकरी बजा रहे हैं। या फिर चुपचाप सियासत कर रहे हैं। वे ऐसा साबित करने की कोशिश कर रहे कि उनका दिल और जान पुष्कर के लिए धड़कता है।