राज्य को एजुकेशन हब बनाने के लिए निजी स्कूल संचालकों को सरकार के साथ मिलकर संयुक्त प्रयास करने एवं पर्वतीय क्षेत्रों में भी एक-एक शिक्षण संस्थान खोलने के लिए आमंत्रित किया गया है। जिसके लिये सरकार निजी संस्थानों को भूमि से लेकर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में हर संभव सहयोग करेगी। प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू करने को लेकर भी निजी स्कूल संचालकों के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। सूबे में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी शिक्षण संस्थानों में 25 प्रतिशत सीटों पर अनिवार्य रूप से प्रवेश दिये जाने को कहा गया। प्रवेश प्रक्रिया के समय बच्चों के अभिभावकों के आय प्रमाण पत्र बनाने के लिए तहसील स्तर पर विशेष शिविरों का आयोजन किया जायेगा।
विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय सभागार ननूरखेडा देहरादून में प्रदेश के प्रतिष्ठित निजी स्कूल संचालकों के साथ बैठक की। बैठक में इसी सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। विभाग की ओर से महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने नई शिक्षा नीति पर पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुतिकरण दिया। विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने राज्य को शिक्षा का हब बनाने के लिए निजी स्कूल संचालकों से संयुक्त प्रयास करने एवं प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में भी अपने प्रतिष्ठित संस्थानों की एक-एक शाखा खोलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा निजी शिक्षण संस्थान संचालकों को भूमि उपलब्ध कराने सहित मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में सहयोग किया जायेगा। उन्होंने प्रदेशभर के निजी स्कूल संचालकों से शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे बच्चों को 25 प्रतिशत सीटों पर अनिवार्य रूप से प्रवेश देने को कहा। जिस पर स्कूल संचालकों ने कहा कि आय प्रमाण पत्र बनाने की जटिल प्रक्रिया के चलते कई छात्रों के अभिभावक आय प्रमाण पत्र बना पाने में अक्षम रह जाते हैं। जिस कारण उनके बच्चों का प्रवेश नहीं हो पाता है। जिस पर विभागीय मंत्री ने कहा कि गरीब बच्चों के अभिभावकों के आय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए प्रवेश प्रक्रिया के दौरान तहसील स्तर पर शिविर आयोजित किये जायेंगे। बैठक में स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने की दृष्टि से कक्षा एक से कक्षा आठ तक के किसी भी छात्र को अनुत्तीर्ण न किये जाने के प्रावधानों को हटाने की मांग की गई। जिस पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी द्वारा अवगत कराया गया कि जो छात्र समप्राप्ति स्तर को प्राप्त नहीं करते हैं उनका पुनः उपचारात्मक शिक्षण किये जाने का प्रावधान है। ताकि उनकी पुनः दो माह बाद परीक्षा लेकर अपेक्षित स्तर पर को प्राप्त कर सके। बैठक में शिक्षा मंत्री ने कहा कि नीजी स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना चाहिए, छात्रों में अध्ययन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए पुस्तकालयों को और अधिक आकर्षित एवं सुसज्जित बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रदेश में सौ प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करने के लिए निजी स्कूल संचालकों से सहायोग की अपील की। उन्होंने राज्य में ग्रीन स्कूल कैम्पस विकसित करने में भी निजी स्कूल संचालकों से सहयोग करने की अपील की। विभागीय मंत्री ने कहा कि निजी स्कूल संचालकों की समस्याओं के समाधान के लिए विभाग के जनपद स्तरीय अधिकारी प्रत्येक तीन माह में बैठक आयोजित करेंगे। बैठक में निजी स्कूल संचालकों से शिक्षा के उन्नयन को लेकर सुझाव भी आमंत्रित किये।
बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, अपर सचिव दीप्ति सिंह, निदेशक माध्यमिक आर. के. कुंवर, निदेशक एससीईआरटी सीमा जौनसारी, निदेशक बेसिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक एस.पी.खाली, गढ़वाल एवं कुमाऊं मण्डल के प्रतिष्ठित स्कूलों के अध्ययक्ष, प्रबंधक, प्रधानाचार्य एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।