बैसाखी मेले पर भी पड़ा कोरोना का असर
रिपोर्ट- गिरीश चंदोला
थराली। पिण्डर घाटी में भी बैसाखी से शुरू होने वाला मेलों का महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। पांच दिनों तक अलग-अलग स्थानों पर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित ये मेले अपनी अलग ही पहचान बयां करते हैं। लेकिन बैसाखी से शुरू होने वाले इन मेलों की श्रृंखला पर इस बार वैश्विक महामारी का पर्याय बन चुके कोरोना का कहर बरपा है। कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन है। पांच से ज्यादा आदमी एक जगह पर एकत्र नही हो सकते हैं, वो भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए। देशभर में लॉकडाउन के चलते धार्मिक अनुष्ठान बन्द हैं। मंदिर, मस्जिद, गिरिजे सभी लॉकडाउन हैं।
ऐसे में पिण्डर घाटी में इन मेलो के आयोजन पर भी कोरोना इफेक्ट का प्रभाव देखा जा सकता है। मेलो के महोत्सव मे लगने वाला प्रथम मेला 13 अप्रैल को कुलसारी एवं पंती मे, 14 को मींग एवं नाखोली माल में, 15 को खेनौली एवं कोब में, 16 को असेड में व 17 अप्रैल को मलियाल एवं हंसकोटी में तथा कुछ दिन बाद बुद्ध पूर्णिमा को कुलसारी के भटियाणा में मां कुमारी के मेले के साथ ही इन मेलो का महोत्सव संपन्न होता है।
कोरोना के कहर के चलते हुए स्थानीय लोग प्रशासन से अनुमति लेकर कुलसारी मंदिर प्रांगण में आज बैसाखी पर्व पर देव डोलियों को स्नान कराने पहुंचे। सामाजिक दूरी के नियमो का पालन करते हुए बारी-बारी से अलग-अलग जगह से महज 5 ही लोग देव झंडों, महादेव की मूर्तियों और डोलियों को लेकर कुलसारी काली मंदिर में पहुंचे। जहां पिण्डर नदी से कलश में पवित्र जल लेकर देव झंडों, मूर्तियों और देव डोलियों को स्नान कराकर सामान्य रूप में पूजा अनुष्ठान का कार्य सम्पन्न कराया गया।
देव झंडो और निशानों के साथ आये लोगो ने बताया कि, देश इस वक्त महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में लॉकडाउन के चलते मेलो का आयोजन सम्भव नहीं है। लिहाजा सामाजिक दूरी के नियमो का पालन करते हुए प्रशासन की अनुमति लेकर केवल मूर्तियों को स्न्नान इत्यादि कराकर ही पूजा अनुष्ठान कार्य किया जा रहा है। सभी स्थानों पर लगने वाले मेलों के लिए देव झंडो, डोलियों एवं नारायण की मूर्तियों का पवित्र स्नान 13 अप्रैल यानी बैशाखी को ही हो जाता है।