देहरादून बार एसोसिएशन,के अध्यक्ष/सचिव को एक पत्र लिखा गया जिसमे बार एसोसिएशन के संविधान के प्रावधानों के अनुसार वार्षिक चुनाव व अन्य आवश्यक क्रिया कलापों व अधिवक्ता चैंबर्स की वयवस्था के सन्दर्भ में कुछ बिन्दुओ को संज्ञान में लाकर विचारण हेतु आमसभा नियमानुसार आहुत करने के लिए निवेदन किया |
एडवोकेट एसएस रावत ने मामले को संज्ञान में लाते हुए बताया कि, मैने 10 फ़रवरी को देहरादून, बार एसोसिएशन को पत्र लिखा जिसमें मैने निम्न बिंदुओं को संज्ञान में लाया:-
चुनाव हेतु एक चुनाव अधिकारी और एक सहायक चुनाव अधिकारी कार्यकारिणी द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए| उक्त चुनाव अधिकारी द्वारा 15 फरवरी को कार्यकारिणी के चुनाव की घोषणा की जानी चाहिए और 15 फरवरी से 28 फरवरी तक चुनाव अधिकारी चुनाव कार्यक्रम का संचालन करें और नई कार्यकारिणी का गठन हो| 28 फरवरी के बाद वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त हो जाए और नव गठित कार्यकारिणी बार एसोसिएशन का संचालन करे|
आगे उन्होंने पत्र के माध्यम से लिखा है कि 19 जनवरी को एसोसिएशन देहरादून की एक आम सभा आहूत की गई थी, जिसके लिए संभवत न तो सदस्यों का युक्ति-युक्त प्रत्यावेदन था और न ही कोई आकस्मिक आवश्यकता थी| कोविड-19 का हवाला देकर चुनाव कथित रूप से अगले 6 महीने के लिए आम सभा से टाल दिए गये|जो असवैंधानिक और अनुचित है क्योंकि चुनाव टाले जाने का कोई भी प्रावधान बार एसोसिएशन देहरादून के संविधान में वर्णित नहीं है और ना ही कोई संशोधन हुआ है|
एडवोकेट ने आगे बताया कि एसोसिएशन देहरादून की वार्षिक सभा 15 फरवरी से 10 दिन यानी 25 फरवरी को प्रविधित है और वार्षिक चुनाव 28 फरवरी तक हो जाना प्रविधित है जिसका कि साफ उल्लंघन किया जा रहा है| एक ही सदस्य को लगातार कई वर्षों से मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जा रहा है | कार्यकारिणी द्वारा मनमानी तरीके से एक मुख्य चुनाव अधिकारी और एक सहायक चुनाव अधिकारी के प्रावधान से भिन्न निर्णय से 2 सहायक चुनाव अधिकारी नियुक्त किए, जो एक असंवैधानिक कार्य था|
बार एसोसिएशन, देहरादून एक सोसाइटी है,जिसका सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी संविधान में प्रविधित किया जाना आवश्यक है,लेकिन ऐसा नहीं हुआ| बार एसोसिएशन बुद्धिजीवियों की संस्था है कानून का पालन करना एक प्रबुद्ध संस्था की गरिमा के खिलाफ है|
प्रत्येक संस्था की बैठक में पूर्व बैठक का वितरण दिया जाता है जो कि यहां नहीं दिया जाता और संभवत बैठक की कार्यवाही भी पूर्ण रूप से नहीं लिखी जाती जो दोष पूर्ण है| उन्होंने बताया कि उन्होंने कार्यकारिणी से वर्ष 1994,1998 और 2000 की कुछ बैठक की कार्यवाही मांगी गयी तो बताया गया है इसकी अभिलेख उपलब्ध ही नहीं है | यदि संस्था की कार्यवाही के रजिस्टर आदि खो गए है तो इस संबंध में कार्यवाही की जानी आवश्यक है |
ग़ौरतलब है कि देहरादून के सचिव को ₹1000 तक व्यय करने तथा ₹5000 तक की राशि अध्यक्ष की सहमति से खर्च करने तथा उससे अधिक की राशि कार्यकारिणी की सहमति को लेकर प्रावधित है | जिसका संभवतः अनु पालन होता है| उन्होंने लिखा कि, एसोसिएशन,देहरादून द्वारा भव्य आयोजन कर एसोसिएशन के अत्यधिक धन व्यय करने की घोषणा हुई लेकिन धरातल पर अधिवक्ताओं के लिए नए न्यायालय परिसर में कोई चेंबर की व्यवस्था ही नहीं है| इसकी जानकारी आम सदस्यों को दी ही नहीं जाती है | बार एसोसिएशन देहरादून को कार्यकारिणी की स्थिति सदस्यों को स्पष्ट करनी चाहिए जिससे अफवाहें फैलने से रुके|
जब एडवोकेट एसएस रावत से बार एसोसिएशन के चुनाव न होने के मुख्य कारण पूछे तो उन्होंने बताया कि, इसका एक मात्र कारण अनैतिक रूप से राजनीति पद पर बैठे रहना है।
साथ ही अध्यक्ष का इस पर कहना है कि,हमने 11 जनवरी को अभिव्यक्तियो की आम सभा बुलाई थी जिसमे हमे फरवरी में होने वाले चुनावों को लेकर बहुमत के आधार पर निर्णय करना था | कोरोना महामारी से सुरक्षा के कारण 6 महीने तक चुनाव न करने के लिए उसमे हमे बहुमत प्राप्त मिला|
साथ ही अध्यक्ष ने कहा कि,6 महीने बाद फिर से आम सभा बुलाई जाएगी जिसमे चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय होंगे |