पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सबसे कद्दावर लीडर हरीश रावत ने अब चुनावी राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है।
इससे कांग्रेस के एक धड़े में खुशी का आलम है तो वहीं दूसरा धड़ा हरीश रावत की इस घोषणा से हतप्रभ देखा जा रहा है।
हालांकि राजनीतिक रूप से हरीश रावत को करीबियत से जानने वाले लोगों का कहना है कि हरीश रावत पिछले 20 वर्षों में लगभग 5-6 बार इस तरह की घोषणा कर चुके हैं लेकिन हर बार वह सक्रिय राजनीति में कूद पड़ते हैं।

यहां तक कि पिछले 20 सालों का इतिहास उठाकर देखा जाए तो उत्तराखंड की कांग्रेस की राजनीति हरीश रावत के इर्द-गिर्द उन्हीं के मन मुताबिक घूमती रही है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस संबंध में पूछने पर बताया कि हरीश रावत अगली किसी पोस्ट में फिर से दो नए तर्कों के साथ यही लिख देंगे कि उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव क्यों लड़ना पड़ रहा है!
हालांकि हरीश रावत ने यह ऐलान कर दिया है कि वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में वह कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे और केवल कांग्रेस के एक सिपाही और प्रचारक की भूमिका निभाएंगे।
हरीश रावत ने यह भी कहा कि इसी सोच के कारण वह इस बार के लोकसभा चुनाव में नहीं उतरे। हालांकि उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके अपने पुत्र को हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव जरूर लड़ाया।
हरीश रावत ने कहा कि वह न तो 2027 के चुनाव में पद के दावेदार होंगे और न ही किसी तरह की अन्य दावेदारी करेंगे। हरीश रावत ने कहा कि लालकुआं से पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने तय कर दिया था कि अब उनको चुनाव नहीं लड़ना है।
बहरहाल यह देखने वाली बात होगी कि हरीश रावत के इस ऐलान में और भविष्य के गर्त में क्या छुपा है।