गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि बीकेटीसी ने केवल दानीदाता को शासन से प्राप्त निर्देशों के क्रम में अपेक्षित सहयोग प्रदान किया। इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता सामने नहीं आई है।
कैसे हुआ विवाद?
केदारनाथ धाम के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने के बाद इस पूरे मामले पर सवाल उठे थे। आरोप लगे कि मंदिर समिति ने स्वयं सोना खरीदा और लगवाया। इसके बाद शासन ने गढ़वाल आयुक्त को जांच के निर्देश दिए थे।
सूचना अधिकार से हुआ खुलासा
सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर यह रिपोर्ट सार्वजनिक हुई। इसमें साफ किया गया कि मंदिर समिति की भूमिका केवल सहयोग तक सीमित रही और उसने अपने स्तर से कोई वित्तीय लेन-देन नहीं किया।
जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष
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बीकेटीसी ने सोना न खरीदा, न लगवाया।
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दानीदाता को शासन के निर्देशानुसार सहयोग दिया।
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किसी भी प्रकार की अनियमितता सामने नहीं आई।
इस रिपोर्ट के बाद केदारनाथ सोना विवाद पर लगी अटकलों पर विराम लग गया है।