हलद्वानी : लालकुआं सूबे की धामी सरकार में अधिकारी इतने सर चढ़ें है कि अधिकारी अपने ही उच्च अधिकारियों के आदेश को मानने को तैयार नहीं है ताजा मामला तराई केंद्रीय वन प्रभाग रूद्रपुर डिविजन का है जहां वन विभाग के स्थानांतरित वन क्षेत्राधिकारी एंव वन दरोगा विभागीय उच्च अधिकारियों तथा राजनैतिक शह के चलते कार्यमुक्त नही हो रहे है इससे विभाग की तबादला नीति पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है वही स्थानांतरित वन क्षेत्राधिकारी एंव वन दरोगा द्वारा अपने ही उच्च अधिकारियों के आदेश को दरकिनार करते हुए रेंज में तैनात रहना क्षेत्र और विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताते चले कि अक्टूबर माह में शासन की तबादला नीति के तहत वन विभाग की विभिन्न रेंजों में तैनात वन क्षेत्राधिकारियों के स्थानातरण के आदेश वन मुख्यलाय से जारी हुऐ थे इसी कड़ी में तराई केन्द्रीय वन प्रभाग रूद्रपुर में तैनात वन क्षेत्राधिकारी उमेश चन्द्र आर्य का भी तबादला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व रामनगर में किया गया यहां आदेश अक्टूबर माह की 9 तरीक को जारी हुआ था इसके अलावा अगस्त माह की 18 तरीख को ही तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के प्रभागीय वन क्षेत्र अधिकारी हिंमाशु बागरी ने पांच वन दरोगाओं के स्थानांतरण के आदेश जारी किए थे लेकिन एक माह से अधिक का समय गुजरने के बाद भी रेंज के वन दरोगा विपिन चन्द्र पडलिया ने अपना कार्य स्थल नही छोड़ा इधर अपने ही उच्च अधिकारियों के आदेश को ना मानकर कार्यस्थल पर बने रहना कहीं ना कहीं वन विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है।
वैसे भी वन विभाग कि कार्य प्रणाली जगजाहिर है क्योकि विभाग में भ्रष्टाचार का जमकर बोलबाला है। जो अधिकारी जहां जमा है वहीं पर जमा है वही विभाग के उच्च अधिकारी भी इस पर कोई संज्ञान लेते नहीं दिख रहे है। जिसके चलते रेंजो में तैनात अधिकारी बेनामी संपत्ति बनाने में जुटें हुए हैं। फिलहाल तराई केन्द्रीय वन प्रभाग रूद्रपुर में मुंह चढ़े अधिकारियों द्वारा अपने ही उच्च अधिकारियों का आदेश को ना मानना क्षेत्र और विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।