यह कार्रवाई खास तौर पर उन छद्म साधु-संतों के खिलाफ है जो धार्मिक चोला पहनकर भोली जनता को ठगते हैं, खासकर महिलाओं को निशाना बनाते हैं।
कांवड़ यात्रा से पहले बड़ा ऐलान, धर्म के नाम पर अब नहीं चलेगा फरेब
हरिद्वार और अन्य तीर्थ क्षेत्रों में कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान कुछ लोग साधु का भेष धारण कर धार्मिक आस्थाओं का फायदा उठाकर ठगी करते हैं। मुख्यमंत्री धामी ने इस पाखंड पर प्रहार करते हुए कहा:
“त्रेता युग में कालनेमि ने साधु का रूप धारण कर छल किया था, आज भी समाज में कई कालनेमि मौजूद हैं। इन्हें बेनकाब कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
धर्म और आस्था की रक्षा को संकल्पबद्ध है सरकार
सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी फर्जी साधु-संतों की पहचान कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि:
“आस्था और सुरक्षा दोनों की रक्षा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।”
धर्म की गरिमा से कोई खिलवाड़ नहीं
सरकार का यह स्पष्ट संदेश है कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से संबंधित व्यक्ति यदि धार्मिक भेष का दुरुपयोग कर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करता है, तो उस पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
‘ऑपरेशन कालनेमि’ क्यों है अहम?
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यह आस्था और सामाजिक सौहार्द की रक्षा का मजबूत संदेश है।
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फर्जी बाबाओं और ढोंगियों पर रोक लगाकर सनातन संस्कृति की रक्षा।
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श्रद्धालुओं का विश्वास और सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
निष्कर्ष: देवभूमि में अब नहीं सहा जाएगा धर्म के नाम पर पाखंड
‘ऑपरेशन कालनेमि’ केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि सनातन धर्म की गरिमा को बचाने का संकल्प है। सीएम धामी की यह कार्रवाई उन्हें आस्था का प्रहरी और धर्मनिष्ठ नेतृत्वकर्ता सिद्ध करती है।