बिना अनुमति चल रहा था वेनम सेंटर
सूचना मिलने पर दिल्ली से पहुंची NGO टीम ने स्थानीय वन विभाग के साथ संयुक्त कार्रवाई की। जांच में पता चला कि संचालक नितिन कुमार को दिसंबर 2022 में सीमित अवधि की अनुमति दी गई थी, जो दिसंबर 2023 में ही समाप्त हो चुकी थी। इसके बावजूद यहां सांपों को रखकर अवैध रूप से जहर निकाला जा रहा था।
मौके से सांपों का ज़हर गायब
छापेमारी के समय सांप तो मिले, लेकिन उनका निकाला गया ज़हर गायब था। यही नहीं, सांपों को रखने की व्यवस्था भी बेहद खराब हालत में पाई गई। जांच के दौरान संचालक नितिन कुमार तो मौके पर मौजूद नहीं था, सिर्फ उसका प्रतिनिधि विष्णु वहां मिला, जिसने सप्लाई चेन की जानकारी देने से साफ़ इनकार कर दिया।
वन विभाग पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोग और वन्यजीव प्रेमी यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतने लंबे समय से अवैध वेनम सेंटर चल रहा था और विभाग को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी। वन विभाग ने सभी सांपों को कब्जे में लेकर भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 2022) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है।
संरक्षित प्रजातियों पर खतरा
कोबरा और रसल वाइपर दोनों ही भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में शामिल संरक्षित प्रजातियां हैं। ऐसे में बिना अनुमति इनका कब्जा और ज़हर निकालना गंभीर अपराध है। वन विभाग की टीम अब इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है ताकि जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई हो सके।